हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता योजना

भूमिका

हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने के लिए भारत सरकार ने पहली पंचवर्षीय योजना में इसे एक योजना के रूप में सम्मिलित किया । दूसरी पंचवर्षीय योजना में भी इसे चालू रखा गया और तब से यह योजना लगातार जारी है। हिंदी के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से यह योजना बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है।

क्षेत्र

इस योजना के अंतर्गत संगठनों/ शैक्षणिक संस्थाओं को हिंदी के प्रचार और प्रसार के वर्तमान कार्यक्रम चालू रखने और उनका विस्तार करने अथवा नए कार्य प्रारंभ करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है । ऐसे कार्यों का संबंध निम्नलिखित परियोजनाओं में से किसी से भी हो सकता है :-

1. हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता :-

  • हिंदीतर-भाषी राज्यों में हिंदीतर-भाषी जनता को हिंदी पढ़ाने के लिए कक्षाओं का आयोजन करना।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी अध्यापकों और प्रचारकों को प्रशिक्षण और उनकी नियुक्ति।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में पुस्तकालय और वाचनालय स्थापित करना और चलाना।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार के लिए पुस्तकों, रिकार्ड किए कैसेटों और दृश्य-श्रव्य ( मुद्रित और अमुद्रित ) सामग्री की खरीद।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में प्रमुख हिंदी विद्वानों के व्याख्यानों, हिंदी में वक्तृत्व प्रतियोगिताओं, वाद-विवादों, नाटकों आदि का आयोजन करना।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी के विकास के लिए हिंदी पुस्तकों और ऐसी अन्य सामग्री तैयार करना और प्रकाशित करना।
  • अखिल भारतीय स्तर की संस्थाओं को बनाए रखना।
  • हिंदी पत्र - पत्रिकाएँ तैयार करना और उन्हें प्रकाशित करना।
  • हिंदी में अपनी प्रतिभा प्रदर्शन के लिए ऐसे छात्रों को पुरस्कार देना जिनकी मातृभाषा हिंदी के अलावा कोई अन्य भाषा हो।
  • उद्देश्यपरक सम्मेलन, संगोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, शिविर, पुस्तक प्रदर्शनियों आदि का हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में आयोजन करना।
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी माध्यम के स्कूलों को सहायता प्रदान करना ।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 351 में अनुस्यूत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंदी में मान्यता प्राप्त अनुसंधान / दस्तावेज अथवा कृतियों के प्रकाशन तथा राजभाषा अधिनियम और नियमावलियों के कार्यान्वयन संबंधी समस्या का समाधान करना।
  • किसी प्रकार के अन्य क्रियाकलाप / कार्यक्रम जो हिंदी को समृद्ध बनाने तथा उसके प्रचार और प्रसार के अनुरूप हों।

2. अनुदान के लिए शर्तें:-

हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करने हेतु पात्रता की शर्त यह होगी कि संस्था/ संगठन को संविधान में यथा परिभाषित हिंदी की विचारधारा को स्पष्ट रूप से स्वीकार करना होगा।

संबंधित संस्था/ संगठन को इसके बाद योजना में यथा उल्लिखित शर्तों का अनुपालन करना अपेक्षित होगा और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर यथानिर्धारित शर्तों को भी स्वीकार करना होगा । इस योजना के अंतर्गत पिछले देयादेय अथवा ऋणों का भुगतान करने के लिए अनुदान नहीं दिया जाएगा।

स्वैच्छिक हिंदी संगठनों/ संस्थाओं को हिंदी के प्रचार–प्रसार के लिए स्वीकृत अनुदानों के संबंध में निम्‍नलिखित शर्तों का पालन करना होगा :-

  • वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली किसी भी संस्था की जाँच केंद्रीय हिंदी निदेशालय/ मानव संसाधन विकास मंत्रालय या राज्य शिक्षा विभाग या भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के अधिकारी किसी भी समय कर सकते हैं। जब सरकार द्वारा दिया गया अनुदान 25,000/- रूपए से अधिक हो तो संस्था की जाँच वहाँ जाकर अवश्य की जानी चाहिए।
  • अनुदान प्राप्त करने से पहले संस्था को इस बात का जिम्मा लेना होगा कि जिस काम के लिए सहायता दी गई है उसे सरकार द्वारा नियत किए गए समय में पूरा किया जाएगा और अनुदान का केवल उसी उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा जिसके लिए वह स्वीकृत किया गया हो। ऐसा न करने पर संस्था को पूरा अनुदान केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज सहित सरकार को वापस करना होगा ।
  • केंद्रीय सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाली संस्था अपने को अथवा अपनी संपत्ति को भारत सरकार की अनुमति के बिना किसी व्यक्ति/ संस्था/ संगठन के नाम हस्तांतरित नहीं कर सकती । यदि किसी समय संस्था बंद हो जाए तो केंद्रीय सरकार के अनुदान से बनाई गई संपत्ति या खरीदा गया सामान भारत सरकार का हो जाएगा।
  • संस्था को केंद्रीय सरकार के अनुदान से पूर्ण या आंशिक रूप से अर्जित या बनाई गई परिसंपत्ति के जाँचे हुए लेखों को निर्धारित प्रोफार्मा में रखना होगा और उसकी एक प्रति निर्धारित तारीख या उचित समय सीमा के अंदर केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग को रिकार्ड के लिए भेजनी होगी । उन उद्देश्यों के अलावा, जिनके लिए अनुदान दिया गया हो, इस प्रकार बनाई गई परिसंपत्ति, भारत सरकार की अनुमति के बिना न तो बेची जा सकती है, न गिरवी रखी जा सकती है, न ही उसका उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए किया जा सकता है।
  • संस्था के लेखे उचित रूप से रखे जाने चाहिए और माँगे जाने पर पेश किए जाने चाहिए । इन लेखों की जाँच नियंत्रक और लेखा परीक्षक, जब चाहे तब कर सकता है।
  • यदि भारत सरकार/ राज्य सरकार को यह विश्वास हो जाए कि संस्था का प्रबंध सुचारू रूप से नहीं हो रहा है या स्वीकृत धन का उपयोग अनुमोदित उद्देश्य के लिए नहीं हो रहा है तो अनुदान की अदायगी रोकी जा सकती है।
  • संस्था भारत के समस्त नागरिकों के लिए जाति, पंथ या वर्ग भेदभाव के बिना खुली रहेगी। जिस राज्य में संस्था स्थित हो, उससे बाहर के राज्यों के लोगों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा ।
  • जिस काम के लिए अनुदान स्वीकृत हुआ हो, उसके संबंध में संस्था भारत सरकार के अनुदेशों और सुझावों के पालन के लिए बाध्य होगी । भारत सरकार द्वारा किसी भी विषय पर कोई सूचना या स्पष्टीकरण माँगे जाने पर संस्था मंत्रालय द्वारा निर्धारित अवधि के अंदर उसे केंद्रीय हिंदी निदेशालय को भेजेगी ।

3. भवन निर्माण के लिए वित्तीय सहायता:-

इस योजना के अंतर्गत भवन (भवनों) का निर्माण, भवन (भवनों) का विस्तार, भवन (भवनों) की मरम्मत और अति दुर्लभ तथा अति विशिष्ट परिस्थितियों में भवन की खरीद हेतु वित्तीय सहायता पर विचार किया जाएगा ।

स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं/ संगठनों को भवन-निर्माण के लिए वित्तीय सहायता के संबंध में निम्‍नलिखित शर्तों का पालन करना होगा :-

  • भवन निर्माण हेतु वित्तीय अनुदान के प्रस्ताव पर विचार करने से पूर्व यह आवश्यक है कि संबंधित प्रस्ताव के संबंध में पहले तीन सदस्यीय केंद्रीय निरीक्षण दल द्वारा संबंधित संस्था का निरीक्षण किया गया हो । निरीक्षण दल में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के अधिकारी/ केंद्रीय अनुदान समिति का एक सदस्य तथा मंत्रालय से एक प्रतिनिधि भी अवश्य होना चाहिए।
  • भवन निर्माण हेतु वित्तीय अनुदान के संबंध में केवल उन्हीं स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के आवेदन - प्रस्ताव विचारणीय हैं जो हिंदीतर भाषी क्षेत्र में स्थित हैं । जिस निर्माण के लिए अनुदान माँगा जा रहा है वह भी हिंदीतर भाषी क्षेत्र में स्थित होना चाहिए । भवन निर्माण हेतु अनुदान का प्रस्ताव केंद्रीय अनुदान समिति में रखने से पूर्व संबंधित संस्था/ संगठन की कानूनी स्थिति, निर्माण तथा उसके द्वारा पूर्व में किए गए कार्यो के संबंध में केंद्रीय हिंदी निदेशालय को अभिनिश्चित हो लेना चाहिए । जिस भूमि पर भवन निर्माण हेतु अनुदान के लिए प्रार्थना की जा रही है वह भूमि स्पष्ट रूप से आवेदक संस्था/ संगठन के नाम पंजीकृत होनी चाहिए।
  • संस्था/ संगठन को भवन निर्माण के संबंध में अपनी कार्य निष्पादन योजना, कार्यान्वित करने वाली एजेंसी आदि से संबंधित दस्तावेज़ अग्रिम रूप से प्रस्तुत करने होंगे।
  • इस योजना के अंतर्गत भूमि की खरीद हेतु अनुदान के प्रस्ताव विचारणीय नहीं हैं।
  • भवन निर्माण हेतु अनुदान के केवल वही प्रस्ताव विचारणीय होंगे जो संबंधित राज्य सरकार द्वारा विधिवत् रुप से अग्रेषित किए जाएँगे। आवेदक संस्था/ संगठन द्वारा प्रदत्त भवन निर्माण हेतु लागत अनुमान/ बजट प्राक्कलन, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग/ लोक निर्माण विभाग के सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुनरीक्षित होना चाहिए।
  • यदि स्वैच्छिक हिंदी संस्था/ संगठन भवन निर्माण पूरा होने से पहले या बाद में किसी समय अपनी गतिविधियाँ बंद कर देती है तो अनुदान की संपूर्ण राशि निर्धारित ब्याज सहित सरकार को वापस करनी होगी। स्वैच्छिक हिंदी संस्था/ संगठन द्वारा की गई किसी भी त्रुटि/ चूक के मामले में इस योजना के अंतर्गत प्रदत्त अनुदान से पूर्णरूप से अथवा आंशिक रूप से निर्मित संपत्ति का अधिग्रहण केंद्रीय हिंदी निदेशालय/ भारत सरकार द्वारा कर लिया जाएगा।
  • अनुदानग्राही संस्था/ संगठन नोटरी पब्लिक द्वारा विधिवत् सत्यापित समुचित मूल्य के स्टैंप पेपर पर दो जमानतियों के साथ जमानत बंध-पत्र प्रस्तुत करना होगा।
  • भवन निर्माण हेतु अनुदान किस्तों में निम्नलिखित के अनुसार मुक्त (release) किया जाएगा :-
    • अनुदान की प्रथम किस्त कुल स्वीकृत अनुदान के 40 प्रतिशत के बराबर अथवा 20 लाख रुपए, जो भी कम हो, की होगी ।
    • अनुदान की द्वितीय किस्त कुल स्वीकृत अनुदान के 40 प्रतिशत के बराबर अथवा 20 लाख रुपए, जो भी कम हो, की होगी । अनुदान की द्वितीय किस्त निर्माण कार्य की प्रगति से संतुष्ट होने तथा प्रथम किस्त के रूप में मुक्त किए गए अनुदान में से कम-से-कम 75 प्रतिशत अनुदान के परीक्षित लेखे प्राप्त होने पर ही मुक्त की जाएगी।
    • अनुदान की अंतिम किस्त केंद्रीय लोक निर्माण विभाग / लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक इंजीनियर अथवा इसी के अधीक्षण इंजीनियर (सुपरिटेंडिंग इंजीनियर) से समस्त भवन निर्माण संबंधी कार्य समापन का प्रमाण-पत्र और लेखों के लेखा परीक्षण विवरण प्राप्त होने के बाद जारी की जाएगी।
  • भवन निर्माण से संबंधित सभी प्रस्तावों पर विशुद्ध रूप से गुणावगुणों के आधार पर विचार किया जाएगा। किसी भी मामले में इन पर नेमी (routine) मामलों की तरह विचार नहीं होगा। केवल वास्तव में सुपात्र मामलों में ही भवन-निर्माण हेतु अनुदान पर विचार होगा।
  • केंद्रीय हिंदी निदेशालय / मानव संसाधन विकास मंत्रालय को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी समय निर्माण कार्य की जाँच करें और यदि यह पाया गया कि निर्माण कार्य की प्रगति संतोषजनक नहीं है तथा अनुदान राशि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया है तो अनुदान की अगली किस्तों की अदायगी रोक दी जाएगी। संस्था / संगठन केंद्रीय सरकार अथवा राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की जाँच के लिए खुला रहेगा । अनुदान के संबंध में सभी नियम व शर्तों का पालन बाध्य होगा।
  • भवन निर्माण हेतु वित्तीय सहायता पर विचार के लिए केंद्रीय अनुदान समिति की बैठक की अध्यक्षता अपर सचिव ( शिक्षा ) द्वारा की जाएगी । अन्य मामलों में केंद्रीय अनुदान समिति की बैठक की अध्यक्षता संयुक्त सचिव ( भाषा) द्वारा की जाएगी।

4. सहायता की सीमा :-

वित्तीय सहायता के लिए सभी आवेदनों पर गुणावगुणों के आधार पर विचार किया जाएगा और अनुदान खर्च को केवल अनुमोदित मदों के लिए ही मंजूर किया जाएगा । हिंदी के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ भवन-निर्माण की गतिविधियों के लिए मंज़ूर अनुदान राशि कुल अनुमोदित व्यय के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी । फिर भी भवन-निर्माण से संबंधित गतिविधियों के लिए अनुदान निम्‍नलिखित के अनुसार जारी होगा :-

  • स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं / संगठनों के भवन निर्माण / बड़ी मरम्मतों के मामलों में अनुदान राशि 5 लाख रुपए अथवा कुल अनुमोदित व्यय के 75 प्रतिशत, जो भी कम हो, से अधिक नहीं होगी । इस उद्देश्यों के लिए केवल वे ही स्वैच्छिक हिंदी संस्थाएँ पात्र होंगी जिन्होंने हिंदीतर भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए उत्कृष्ट कार्य किया हो और जो पिछले 10 वर्ष से अधिक समय से सक्रिय रूप से संचालित की जा रही हों । इस खंड के अंतर्गत कोई भी राशि मुक्त करने से पूर्व केंद्रीय अनुदान समिति की सिफारिशें, एकीकृत वित्त प्रभाग की सम्मति तथा सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग का अनुमोदन आवश्यक होगा।
  • स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के भवन निर्माण के लिए 5 लाख रुपए से 20 लाख रुपए अथवा कुल अनुमोदित व्यय के 75 प्रतिशत, जो भी कम हो, के अनुदान के लिए उन्हीं संस्थाओं के प्रस्तावों पर विचार होगा जिन्होंने हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए उत्कृष्ट कार्य किया हो और जो पिछले 20 वर्ष से सक्रिय रूप से संचालित की जा रही हों । इस प्रस्ताव के अंतर्गत कोई भी राशि मुक्त करने से पूर्व केंद्रीय अनुदान समिति की सिफारिशें, एकीकृत वित्त प्रभाग की सम्मति तथा मानव संसाधन विकास मंत्री जी का अनुमोदन आवश्यक होगा।
  • स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के भवन निर्माण के लिए 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए अथवा कुल अनुमोदित व्यय के 75 प्रतिशत, जो भी कम हो, के अनुदान के लिए विशेष परिस्थितियों में केवल उन्हीं संस्थाओं के प्रस्तावों पर विचार होगा जिन्होंने हिंदीतर भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए उत्कृष्ट तथा सराहनीय कार्य किया हो और जिनका स्वरूप अखिल भारतीय स्तर का हो तथा जो पिछले 30 वर्ष से सक्रिय रहकर विधिवत रूप से संचालित की जा रही हों । इस प्रस्ताव के अंतर्गत कोई भी राशि मुक्त करने से पूर्व केंद्रीय अनुदान समिति की सिफारिशें, एकीकृत वित्त प्रभाग की सम्मति तथा माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा।
  • अति विशिष्ट, अपवाद स्वरूप परिस्थितियों, जिनका लिखित रूप में रिकार्ड हो, के अंतर्गत भवन-निर्माण हेतु 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए तक के अनुदान के लिए उन्हीं संस्थाओं के प्रस्तावों पर विचार होगा जिन्होंने हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए असाधारण तथा अति उत्कृष्ट कार्य किया हो और जो पिछले 50 वर्षों से सक्रिय रूप से संचालित की जा रही हों । इस प्रस्ताव के अंतर्गत कोई भी राशि मुक्त करने से पूर्व केंद्रीय अनुदान समिति की सिफारिशें, एकीकृत वित्त प्रभाग की सम्मति तथा माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा।

5. आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया :-

हिंदी के प्रचार-प्रसार की गतिविधियों और भवन निर्माण की गतिविधियों-दोनों योजनाओं में से प्रत्येक के लिए अलग-अलग आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा।

हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वित्तीय सहायता संबंधी सभी अनुरोध निर्धारित आवेदन पत्र में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के गुवाहाटी, कोलकाता, चेन्नई तथा हैदराबाद स्थित संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों के उपनिदेशक (भाषा) को भेजे जाने चाहिए। संबंधित कार्यालयों के उपनिदेशक (भाषा) सभी आवेदन पत्रों की जाँच करेंगें और सभी प्रस्ताव इसी उद्देश्य से गठित राज्यस्तरीय अनुदान समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत करेंगें। राज्यस्तरीय अनुदान समिति की संस्तुति के साथ आवेदन पत्र अंतिम निर्णय के लिए केंद्रीय अनुदान समिति के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु केंद्रीय हिंदी निदेशालय में भेजे जाएँगे। अखिल भारतीय स्वरूप की संस्थाओं / संगठनों से प्राप्त होने वाले अनुदान संबंधी अनुरोध, यदि आवश्यक हो तो, केंद्रीय सरकार द्वारा सीधे प्राप्त किए जा सकते हैं । जो संगठन उन क्षेत्रों में स्थित हैं जो किसी भी उपनिदेशक (भाषा) के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, उनके आवेदन-पत्र निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय को सीधे भेजे जाऍ । निदेशालय द्वारा इन प्रस्तावों की जाँच की जाएगी और राज्यस्तरीय अनुदान समिति की संस्तुति के साथ आवेदन पत्र केंद्रीय अनुदान समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किए जाएँगे । स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के भवन निर्माण संबंधी आवेदन पत्र भी निर्धारित प्रपत्र पर केंद्रीय हिंदी निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालयों में विचारार्थ प्रस्तुत किए जाने चाहिए। भवन निर्माण संबंधी आवेदन पत्रों का राज्य सरकारों के माध्यम से प्राप्त होना आवश्यक है।

राज्य सरकार/ निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली, क्षेत्रीय उपनिदेशक (भाषा) केंद्रीय हिंदी निदेशालय संगठन के अनुरोध की जाँच करेगा और अपनी सिफारिश करते समय निम्‍नलिखित बातों का उल्लेख करेगा :-

  • कि संगठन एक संस्थापित दक्षता और योग्यता वाली संस्था है।
  • कि अनुशंसित योजना हिंदी को समृद्ध बनाने / उसका प्रचार करने / उसको बढ़ावा देगी (कृपया ब्यौरा दें) ।
  • प्राक्कलनों की जाँच कर ली गई है और उन्हें उचित पाया गया है।
  • उस विशिष्ट राशि का उल्लेख किया जाए जिसकी वह संगठन/ संस्था को अदा करने के लिए केंद्रीय सरकार से सिफारिश करते हैं।
  • कोई अन्य उपयोगी सूचना जिसे वह संगठन/ संस्था के अनुरोध के संबंध में देना चाहेंगे।

किसी आवेदन पत्र के संबंध में सिफारिश करने से पूर्व केंद्रीय हिंदी निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालयों (उपनिदेशक भाषा) / राज्य सरकार, जैसी भी स्थिति हो, संगठन आदि की सत्यता और उस काम की उपयोगिता तथा आवश्यकता के संबंध में अपने आप को संतुष्ट कर लें जिसके लिए अनुदान माँगा गया है।

प्रत्येक आवेदन पत्र निम्‍नलिखित सूचना और दस्तावेजों सहित निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत किया जाना चाहिए :-

  • संस्था/ संगठन के उद्देश्य और क्रियाकलापों के संबंध में एक संक्षिप्त विवरण ।
  • क्या संस्था/ संगठन एक पंजीकृत संस्था है ?
  • प्रबंध बोर्ड की संरचना / संविधान।
  • अद्यतन उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट।
  • संगठन के पिछले तीन वित्तीय वर्षों के परीक्षित लेखों की एक प्रति और अंतिम तुलन पत्र की एक प्रति । उस वर्ष के संबंध में संगठन की आय-व्यय के प्राक्कलन भी भेजे जाएँ जिसके लिए अनुदान संबंधी आवेदन किया गया है।
  • राज्य सरकारों अथवा अन्य निकायों से अब तक प्राप्त अनुदानों का एक विवरण, जिसके लिए प्रत्येक मामले में यह बताया जाए :-
    • कि किस उद्देश्य के लिए अनुदान प्राप्त किया गया था।
    • कि उसका कब और कैसे उपयोग किया गया।
    • इस दिशा में की गई प्रगति जिसके लिए सहायता दी गई थी, और
    • कि क्या पिछली सहायता से संबंधित सभी शर्तों का विधिवत् पालन किया गया ।
  • विचाराधीन योजना के लिए अनुदान हेतु किन्ही अन्य निकायों को, यदि कोई हो, किए गए अनुरोध से संबंधित सूचना । इस प्रकार के अनुरोधों पर उन निकायों के निर्णयों से भी केंद्रीय हिंदी निदेशालय/ केंद्रीय हिंदी निदेशालय के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों के उपनिदेशक (भाषा) को सूचित किया जाए ।
  • इस आशय का एक शपथ पत्र कि योजना के प्राक्कलनों का एक बार अनुमोदन कर लेने के पश्चात् तथा इन प्राक्कलनों के आधार पर अनुदान का मूल्यांकन होने के बाद उन्हें राज्य और केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना संस्था/ संगठन द्वारा संशोधित नहीं किया जाएगा ।

सभी आवेदन पत्र पूरी तरह से भर कर दो प्रतियों में अगले वितीय वर्ष की 31 जनवरी तक केंद्रीय हिंदी निदेशालय के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के उपनिदेशक (भाषा) के पास भिजवाये जाने चाहिए|

हिंदी में प्रकाशन के लिए वित्‍तीय सहायता योजना

परिचय

भाषाओं की प्रोन्‍नति के लिए स्वैच्छिक संस्थाओं और व्यक्तियों को सीमित प्रकाशन सहायता प्रदान करने के लिए माध्यमिक और उच्‍चतर शिक्षा विभाग ने सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985 से 1990) में इसे एक योजना के रूप में सम्मिलित किया । वर्ष 1994-95 में इस योजना का विकेंद्रीकरण कर दिया गया तथा हिंदी में प्रकाशन हेतु वित्‍तीय सहायता योजना, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पत्र संख्या सं. – 17-1/94 डी-1 (एल) दिनांक 15.06.94 द्वारा केंद्रीय हिंदी निदेशालय को स्थानांतरित कर दी गई । निदेशालय द्वारा तब से अनवरत इस योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है ।

संचालन के मानदंड

  • यह योजना हिंदी भाषा के लिए विशिष्‍ट लेखा शीर्षों के अंतर्गत संचालित की जाएगी जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:-

हिंदी (अवधी, भोजपुरी, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगधी, राजस्थानी, ब्रज आदि सहित)

सहायता की सीमा

  • योजना के अंतर्गत संस्वीकृत सहायता उक्‍त प्रकाशन के लिए कुल अनुमोदित व्यय के 80% (अस्सी प्रतिशत) और दुर्लभ पांडुलिपियों की वर्णनात्मक अनुक्रमणिकाओं के लिए 100% (सौ प्रतिशत) से अधिक नहीं होगी। इस उद्देश्य के लिए वर्णनात्मक अनुक्रमणिकाओं हेतु 500 प्रतियों और अन्य प्रकाशनों के लिए 1100 प्रतियों तक के मुद्रण आदेश का प्रावधान है ।
  • ऐसे व्यय में (जहाँ कोई स्थाई स्थापना नहीं है) लेखक /संपादक/ अनुवादक को पांडुलिपि तैयार करने (आशुलेखन/ टंकण सहित) के लिए मानदेय, कागज, प्रूफ रीडिंग तथा पुनरीक्षण, मुद्रण तथा जिल्दसाजी की लागत का प्रावधान हो सकता है । भवन किराया, यात्रा-व्यय, उपस्कर (जैसे टाइपराइटर और फर्नीचर, डाक-व्यय आदि) स्वीकार्य नहीं होगा ।
  • पिछले दायित्वों, ऋणों को चुकाने के लिए अथवा संभावित बजट और सरकारी स्रोत से स्वीकार्य अनुदान में कमी को पूरा करने के लिए सहायता देने पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • अनुमोदित व्यय के संबंध में कोई भी निर्णय निदेशालय द्वारा ही लिया जाएगा ।
  • इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सहायता राशि के संबंध में निर्णय करने से पूर्व सार्वजनिक निधियों के किसी अन्य स्रोत जैसे केंद्रीय सरकार के अन्य विभाग/ कोई राज्य सरकार/ कोई स्थानीय सार्वजनिक प्राधिकरण/ कोई अर्धसरकारी/ केंद्र अथवा राज्य के स्वायत्त निकाय से उसी परियोजना के लिए अनुमोदित/ प्रदत्‍त सहायता की प्रमात्रा में से पहले अनुमोदित व्यय प्राक्‍कलन को कम किया जाएगा ।
  • इस योजना के अंतर्गत उपयुक्‍त अनुरोधों पर हिंदी भाषा के लिए अनुदान समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए गुणावगुण के आधार पर विचार किया जाएगा बशर्ते समिति का अध्यक्ष मंत्रालय से संबद्ध लेखा नियंत्रक के परामर्श से उपयुक्‍त / तत्काल मामलों में नया अनुदान अनुमोदित करने में सक्षम हो । यह समिति की अगली बैठक में ऐसे निर्णयों की जानकारी देने पर निर्भर करेगा ।

सहायता का क्षेत्र

इस योजना के अंतर्गत विचार हेतु निम्‍न प्रकार के प्रकाशन रखे जा सकते हैं :-

  • विश्‍वकोश जैसी संदर्भ पुस्तकें, ज्ञान पुस्तक संग्रह, ग्रंथसूची व शब्दकोश। शब्दकोश के मामले में (जो एक या अधिक भाषाओं में हो सकता है) शब्दकोश की आधार भाषा यथा-हिंदी से संबंधित लेखे के उपशीर्ष से खर्च वहन किया जाएगा ।
  • दुर्लभ पांडुलिपियों के व्याख्यात्मक सूचीपत्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्र में 500 प्रतियों तक मुद्रण आदेश के साथ ।
  • विभिन्‍न भाषाओं के लिए स्वयं शिक्षक / स्वयं अनुदेशक, जिसकी आधार भाषा हिंदी हो।
  • भाषाविज्ञान, साहित्यिक (उपन्यास, नाटक, कविता तथा शोध प्रबंध को छोड़कर) सामाजिक, मानव विज्ञान तथा सांस्कृतिक विषयों पर मूल लेखन ।
  • प्राचीन पांडुलिपियों के आलोचनात्मक संस्करण और / या प्रकाशन ।
  • ऊपर सूचित विषयों पर मूल रूप में अन्य भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद व प्रकाशन।
  • विभिन्‍न भारतीय भाषाओं के प्राचीन शास्त्रीय ग्रंथों का देवनागरी में लिप्यंतरण और हिंदी अनुवाद सहित हिंदी भाषा में प्रकाशन ।
  • 30 वर्ष से अधिक समय से पहले प्रकाशित तथा जो उपलब्ध नहीं है ऐसी दुर्लभ पुस्तकों का पुनर्मुद्रण / संशोधित संस्करण ।
  • कोई अन्य प्रकाशन जिससे हिंदी की प्रोन्‍नति सुनिश्चित हो ।

पात्रता

  • स्वैच्छिक संगठन/ सोसायटी/ धर्मार्थन्यास जो उस समय लागू, संगत, केंद्रीय या राज्य अधिनियम के अधीन पंजीकृत हैं तथा साथ-साथ वह व्यक्ति जो लेखक/ संपादक है या वह व्यक्ति जो पुस्तक प्रकाशित करना चाहता है और उसका सर्वाधिकार (कॉपीराइट) रखना चाहता है, (व्यावसायिक प्रकाशनों को छोड़कर) सहायता हेतु आवेदन करने के पात्र होंगे ।

            बशर्ते कि आवेदक संगठन का स्वरूप ऐसा नहीं होना चाहिए कि वह अपने कार्यकलापों से होने वाले किसी भी लाभ को बोनस या लाभांश के रूप में अपने सदस्यों या धारकों के बीच वितरित करने के लिए कार्य कर रहा हो अथवा निगमित /  पंजीकृत हो ।

  • भाषाओं की प्रोन्‍नति के उद्देश्य से राज्य सरकारों द्वारा पंजीकृत एवं सहायता प्राप्‍त अकादमियाँ और संगठन भी हिंदी में प्रकाशन अनुदान के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे । इसी प्रकार विश्वविद्यालय भी (राज्य विश्वविद्यालय के संबंध में राज्य सरकार के माध्यम से तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से) उन परियोजनाओं के संबंध में आवेदन करने के पात्र होंगे जिन्हें संबंधित राज्य सरकारों या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पूर्ण रूप से सहायता प्राप्‍त नहीं होती ।
  • सरकार यथा आवश्यक ऐसी सलाह प्राप्‍त करने के बाद योजना के प्रावधानों के पैरा 4.1 में सूचीबद्ध प्रकार से साहित्य निर्माण को शुरू करने के लिए अलग-अलग छात्रों, विश्वविद्यालयों और पंजीकृत स्वैच्छिक संगठनों को कार्य सौंप सकती है ।

आवेदन पत्र प्रस्तुत करना

  • हिंदी में प्रकाशन हेतु वित्‍तीय सहायता के लिए निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पश्चिमी खंड – 7, रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली – 110066 को प्रत्येक पुस्तक के संबंध में अलग अलग रूप से प्रस्तुत करना होगा जो यथा प्रासंगिक प्रोफार्मा में अपनी सिफारिशें करेगा।
  • आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र में दर्शाए गए दस्तावेजों के साथ दो प्रतियों में करने होंगे ।
  • जहाँ प्रस्ताव में प्रकाशन/ पुनर्मुद्रण/ संशोधित संस्करण शामिल हों, तो पांडुलिपि/ पुराने संस्करण की दो प्रतियाँ यह सुनिश्चित करते हुए आवेदन पत्र के साथ भेजी जानी चाहिए कि मूल प्रति प्रार्थी के पास सुरक्षित है । प्रार्थी द्वारा प्रकाशित पिछले प्रकाशन (यदि कोई हो) की एक विवरणात्मक सूची, इस संबंध में शीर्षक, विषयवस्तु, सूची और प्रस्तावित प्रकाशन के स्थितीय महत्व को दर्शाते हुए परियोजना रिपोर्ट जोकि परियोजना इत्यादि के लिए व्यावसायिक दक्षता, वित्‍तीय और संस्थापन सहायता से संबंधित हो, के अलावा भेजी जानी चाहिए ।
  • आवेदन पत्र, तिथियों की उपलब्धता और प्रशासनिक सुविधा के अनुसार, उचित स्तरों पर विचार करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक प्रस्तुत किए जा सकते हैं ।

अनुदान की शर्तें

  • अनुदानग्राही, संस्वीकृत अनुदान जारी करने से पूर्व इस आशय का एक बंध-पत्र (संलग्न प्रपत्र में) भरेगा, कि अनुदान से शुरू किया जाने वाला कार्य, उचित समय के भीतर पूरा किया जाएगा जिसकी अवधि प्रथम किश्त की संस्वीकृति की तिथि अथवा अनुदानग्राही के पूर्व अनुरोध पर सरकार द्वारा बढ़ाई गई तथा निर्धारित तारीख से एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और अनुदान केवल उसी उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जाएगा जिसके लिए संस्वीकृत किया गया है । ऐसा न करने पर, संगठन पूरा संस्वीकृत अनुदान ब्याज सहित, जिसका निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है, सरकार को लौटाने के लिए उत्‍तरदायी होगा। पुस्तकों की प्रतियों की खरीद के मामले में कोई बंध पत्र नहीं भरा जाएगा ।
  • पुस्तकों की प्रतियों की खरीद के मामले में देय भुगतान संस्वीकृति प्रासंगिक प्रक्रिया, जिसका विवरण पैरा 8.3 और 8.4 में दिया गया है को पूरा कर लेने के बाद, बिल प्राप्‍त होने पर, एक ही किश्त में किया जाएगा ।
  • प्रकाशन के मामले में जैसा कि सरकार ने निर्णय लिया है अनुमोदित अनुदान, प्रकाशन की प्रकृति व प्रगति के आधार पर उचित किश्त में दिया जाएगा तथा किसी भी मामले में एक किश्त में नहीं दिया जाएगा ।
  • सरकार को यह छूट होगी कि वह समय-समय पर अनुदानग्राही को जब भी आवश्यक हो, अनुमोदित प्रकाशनों के प्रपत्र व विषयवस्तु पर इस प्रकार के सुझाव / निर्देश दे सकती है तथा अनुदानग्राही को इसका पालन करना होगा । पांडुलिपियों के आलोचनात्मक संस्करण के मामले में इस प्रकार के निर्देशों में टिप्पणियाँ, तुलनात्मक पाठ, उपलब्ध पाठ्यपुस्तकों की प्रामाणिकता, लेखक पर जीवनी-टिप्पणी आदि का अध्ययन शामिल हो सकता है ।
  • अंतिम किश्त देने पर विचार केवल (कुल अनुमोदित अनुदान का एक तिहाई से कम नहीं) अनुदानग्राही से निम्‍नलिखित साम्रगी प्राप्त होने के पश्‍चात ही किया जाएगा :-
    • चार्टरित लेखाकार द्वारा प्रमाणित प्रकाशन की संपूर्णता पर कुल व्यय के संबंध में लेखे (जो विश्विद्यालय के मामले में वित्‍त / लेखा परीक्षा अधिकारी तथा रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित हो) ।
    • कुल अनुमोदित व्यय के संबंध में चार्टरित लेखाकार द्वारा प्रमाणित उपयोगिता प्रमाण-पत्र,
    • अनुदानग्राही द्वारा यथावत हस्ताक्षरित परियोजना पूर्ण होने की रिपोर्ट यदि कोई है, तथा
    • अंतिम रूप से प्रकाशित तीस सम्मानार्थ प्रतियाँ।
  • योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता से प्रकाशित पुस्तक / प्रकाशन का सूचित मूल्य भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन से निर्धारित किया जाएगा।
  • एक बार परियोजना के अनुमान आदि पर्याप्‍त रूप से अनुमोदित किए जाने के बाद तथा अनुदान इस प्रकार के अनुमानों पर निर्धारित किए जाने के पश्चात भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना आवेदक उनमें कोई संशोधन नहीं करेगा ।
  • सरकार द्वारा दिए गए अनुदान में से निर्मित संपत्ति भारत सरकार की सहमति के बिना किसी व्यक्ति / संस्थान को स्थानांतरित नहीं की जाएगी। यदि किसी भी समय अनुदानग्राही संगठन / संस्थान अस्तित्व में नहीं रहना चाहता है तो सरकारी अनुदान में से खरीदा गया उपकरण सरकार को वापिस किया जाएगा ।
  • संगठन / संस्थान के लेखे ठीक प्रकार से रखे व प्रस्तुत किए जाएँगे तथा जब भी आवश्यक हो भारत सरकार या राज्य / संघ शासित सरकार के प्रतिनिधि द्वारा उनकी जाँच की जाएगी ।
  • यदि केंद्रीय या राज्य / संघ शासित सरकार के समक्ष यह कारण सामने आता है कि संगठन / संस्थान के क्रियाकलापों का उचित प्रकार से प्रबंध नहीं किया जा रहा है या संस्वीकृत राशि का उपयोग अनुमोदित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है तो भारत सरकार तुरंत अनुदान की आगे की किश्तों का भुगतान रोक सकती है तथा अनुदानग्राही से वह राशि वसूली जा सकती है जो सरकार के द्वारा संस्वीकृत अनुदान के संबंध में मुक्‍त की गई है ।
  • आवेदक अपने कार्य में विशेष रूप से सरकारी अनुदान में से व्यय के संबंध में मितव्ययता बरतेंगे ।
  • परियोजना / योजना पर प्रगति रिपोर्ट 3 महीने के नियमित अंतराल पर दी जाएगी ।
  • यदि दिया गया अनुदान, राज्य सरकार के अनुदान (यदि कोई है) के कुल वास्तविक व्यय से अनुमोदित मदों के वास्तविक व्यय के 80 प्रतिशत से अधिक है तो दोनों के अंतर की राशि भारत सरकार को वापिस की जाएगी ।
  • प्रकाशनों के प्रत्येक शीर्षक पृष्ठ पर निम्‍नलिखित प्रविष्टियाँ होंगी :- केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संस्वीकृत पत्र सं. ................ दिनांक .................... के माध्यम से प्राप्‍त वित्‍तीय सहायता से प्रकाशित । कॉपीराइट ................................................. अनुदानग्राही के पास है।

अनुदान योजना आवेदन-पत्र

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