पत्राचार पाठ्यक्रम
उद्देश्य
केंद्रीय हिंदी निदेशालय में पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग की स्थापना भारत के हिंदीतर-भाषी राज्यों के लोगों, विदेशों में बसे भारतीयों तथा हिंदी सीखने के इच्छुक विदेशियों को पत्राचार द्वारा हिंदी सिखाने के उद्देश्य से सन् 1968 में की गई थी।
उपलब्ध पाठ्यक्रम :
केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग ने सन् 1968 में एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम 'प्रवेश' केवल 1008 छात्रों के नामांकन से आरंभ किया था। यह योजना बहुत लोकप्रिय हुई और छात्रों की माँग पर सन् 1973 से 'प्रवेश' से उच्च स्तर का एक पाठ्यक्रम 'परिचय' आरंभ किया गया। इन भाषा-शिक्षण पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्वायत्त संस्थाओं आदि में कार्यरत कर्मचारियों को भी पत्राचार द्वारा हिंदी सिखाने के उद्देश्य से कार्यालयीन हिंदी से संबंधित तीन अन्य पाठ्यक्रम 'प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ' क्रमश: सन् 1969, 1970 तथा 1972 में आरंभ किए गए। दो-दो वर्षों की अवधि के 'प्रवेश' और 'परिचय' पाठ्यक्रमों के स्थान पर अब एक-एक वर्ष के क्रमश: 'सर्टिफिकेट' और 'डिप्लोमा' पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के वे परीक्षार्थी जो स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, और जो सिविल सेवा परीक्षा में अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्नपत्र के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं तथा जिनकी मातृभाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है, उन्हें हिंदी सिखाने के लिए एक अन्य पाठ्यक्रम "सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम" आरंभ किया गया। वर्ष 2003-04 से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अतिरिक्त एक और नया पाठ्यक्रम एडवांस हिंदी डिप्लोमा आरंभ किया गया। एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को हिंदी भाषा एवं साहित्य की समुचित जानकारी उपलब्ध कराता है।
निदेशालय के पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या अब कई गुणा बढ़ गई है। पत्राचार पाठ्यक्रम योजना के तहत संचालित पाठ्यक्रमों में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 छात्रों को दाखिला दिया जाता है। इन पाठ्यक्रमों से अब तक लाभान्वित छात्रों की संख्या 5.10 लाख से भी अधिक है।
माध्यम:
हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम और हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम अंग्रेजी, तमिल, मलयालम तथा बंगला माध्यम से चलाए जाते हैं। प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ, तथा सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम केवल अंग्रेजी माध्यम से चलाए जाते हैं। एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम से संचालित किया जाता है।
सत्र :
- (क). हिंदी सर्टिफिकेट,हिंदी डिप्लोमा, एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक-एक वर्ष की अवधि के हैं और सत्र प्रतिवर्ष जुलाई से आरंभ होता है।
- (ख). प्रबोध,प्रवीण और प्राज्ञ पाठ्यक्रमों का शिक्षा-सत्र एक-एक वर्ष का है, जो प्रतिवर्ष जनवरी से आरंभ होता है।
- (ग). सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम भी एक वर्ष की अवधि का है, जो प्रतिवर्ष दिसंबर से आरंभ होता है।
दाखिले के लिए पात्रता :
(1). भारत में रहने वाले ऐसे भारतीय तथा विदेशी, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जिनकी उम्र 10 वर्ष या उससे अधिक है।
(2). विदेश में रहने वाले ऐसे भारतीय नागरिकों के बच्चे जिनकी उम्र कम से कम 10 वर्ष है। मातृभाषा का कोई बंधन नहीं है।
(2.) विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चे जिनकी उम्र कम से कम 12 वर्ष हैं। मातृभाषा का कोई बंधन नहीं हैं।
(3.) इसके अतिरिक्त छात्र ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी सर्टिफिकेट परीक्षा या गृह मंत्रालय की प्रवीण परीक्षा उत्तीर्ण की हो या उसे अपेक्षित भाषा कौशलों का ज्ञान हों।
ये पाठ्यक्रम केवल केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्वायत्तशासी निकायों आदि के कर्मचारियों के लिए है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय इन पाठ्यक्रमों के लिए केवल शिक्षण अभिकरण के रूप में कार्य करता है। इन पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) द्वारा ली जाती है।
(1). यह पाठ्यक्रम उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्नातक या स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे उन छात्रों के लिए है, जिनकी मातृभाषा भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है तथा जो सिविल सेवा परीक्षा में “अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्नपत्र” के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं।
(2). छात्र अनिवार्य रूप से निम्नलिखित राज्यों में से किसी राज्य का निवासी हो – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम।
(1). यह पाठ्यक्रम भारत में रहने वाले ऐसे भारतीयों तथा विदेशियों के लिए है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जिनकी उम्र 14 वर्ष या उससे अधिक है।
(2). छात्र ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी डिप्लोमा परीक्षा अथवा हाईस्कूल हिंदी विषय के साथ उत्तीर्ण की हो।
शुल्क :
क्रमांक | पाठ्यक्रम | भारतीय छात्रों के लिए | विदेशी छात्रों के लिए |
---|---|---|---|
(क). | हिंदी सर्टिफिकेट तथा हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम | रु.50.00 प्रति छात्र, प्रति सत्र | US $ 50.00 अथवा £ 30.00 प्रति छात्र, प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि |
(ख). | एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम | रु. 200.00 प्रति छात्र, प्रति सत्र | US $ 200.00 अथवा £ 120.00 प्रति छात्र, प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि। |
(ग). | सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम | नि:शुल्क | - |
(घ). | प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ |
(1). दाखिले के समय रुपए 50.00 प्रति छात्र, प्रति सत्र । (2).. परीक्षा फार्म के साथ शुल्क प्रबोध रुपए 100.00 प्रवीण रुपए 100.00 प्राज्ञ रुपए 100.00 |
- |
भुगतान की पद्धति :
शुल्क का भुगतान निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली-110066 के पक्ष में रेखित इंडियन पोस्टल आर्डर या बैंक ड्राफ्ट द्वारा करें जिनका भुगतान नई दिल्ली स्थित डाकघर/ बैंक में देय हो । जिन देशों में डॉलर या पौंड की मुद्रा का चलन नहीं है या जहाँ पर स्थानीय रूप से विदेशी विनिमय का प्रतिबंध है वहाँ छात्र शुल्क के बराबर की राशि स्थानीय मुद्रा में उस देश में स्थित भारतीय मिशन/ दूतावास में जमा करा सकते हैं। ऐसी स्थिति में आवेदन फार्म के साथ मूल रसीद इस निदेशालय को रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजी जानी अनिवार्य है।
शिक्षण पद्धति :
सभी पाठ्यक्रमों की शिक्षण सामग्री, जिसमें पाठ और उत्तर-पत्र होते हैं, पूर्व निर्धारित समय सारणी के अनुसार भेजी जाती है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दी से जल्दी उत्तर-पत्र भरकर मूल्यांकन के लिए भेज दें। उत्तर-पत्र मूल्यांकन के बाद आवश्यक व्याकरणिक निर्देशों के साथ उन्हें लौटा दिए जाते हैं। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं एड्वांस डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के उत्तर-पत्र जमा करने की अंतिम तिथि प्रतिवर्ष 30 अप्रैल तथा प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठ्यक्रमों के उत्तर-पत्रों के लिए अंतिम तिथि 1 नवंबर है।
व्यक्तिगत संपर्क कार्यक्रम :
कक्षा-शिक्षण की कमी को पूरा करने तथा छात्रों से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने के लिए छात्रों के संकेंद्रण के आधार पर विभिन्न स्थानों पर लगभग पाँच से आठ दिन की अवधि के व्यक्तिगत संपर्क कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कक्षा व्याख्यान की व्यवस्था की जाती है और छात्रों को दृश्य-श्रव्य सामग्री की सहायता से संभाषण, उच्चारण और वार्तालाप का प्रशिक्षण दिया जाता है।
मूल्यांकन/ परीक्षा :
प्रत्येक पाठ्यक्रम की समाप्ति पर देश तथा विदेश में विभिन्न केंद्रों पर परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं । छात्रों को उनके द्वारा उत्तर-पत्रों में किए गए प्रयासों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक दिए जाते हैं और उन अंकों को छात्र द्वारा दी गई वार्षिक परीक्षा में प्राप्त अंकों में सम्मिलित किया जाता है।
सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम के छात्रों की कोई परीक्षा नहीं ली जाती।
पुरस्कार प्रोत्साहन आदि :
परीक्षा परिणाम के आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा एड्वांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के प्रतिभाशाली छात्रों को नकद एवं पुस्तक पुरस्कार दिए जाते हैं। प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ के छात्र भी अपने संबंधित विभाग/ मंत्रालय से प्रोत्साहन स्वरूप वेतन-वृद्धि एवं नकद राशि पाने के पात्र है।
प्रतिपूरक शैक्षणिक सामग्री
निदेशालय हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए भाषावैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्रीय पद्धति पर प्रतिपूरक शैक्षिक सामग्री तैयार करता है, जो इस प्रकार है-
दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम सीडी/डीवीडी (वीडियो के प्रारूप में)
पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग द्वारा वीडियो सीडी/ डीवीडी कार्यक्रमों के निर्माण का उद्देश्य हिंदी के व्याकरणिक बिंदुओं, साहित्य के विभिन्न पहलुओं एवं हिंदी की अधुनातन विधाओं आदि को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना है। ये कार्यक्रम हिंदी भाषा, साहित्य व संस्कृति को समझने की दिशा में छात्रों के लिए बहुउपयोगी हैं। 'केंद्रीय हिंदी निदेशालय' के पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग द्वारा निर्मित इन कार्यक्रमों का प्रसारण भारत सरकार के ' ज्ञान दर्शन चैनल ' (मानव संसाधन विकास मंत्रालय); पर किया जाता है। पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग द्वारा अब तक कई सीडी/डीवीडी कार्यक्रमों का निर्माण किया गया है। प्रत्येक सीडी तथा डीवीडी की अवधि लगभग 30 मिनट है। इसमें भारतीय संस्कृति के विभिन्न रुपों का समावेशन करते हुए; प्रारंभिक व आधारभूत हिंदी अभिव्यक्ति, वाक्य रचना तथा व्याकरणिक बिंदुओं पर बल देने का प्रयास किया गया है। यह वीडियो फिल्म विदेशी तथा हिंदीतरभाषी भारतीय छात्रों में हिंदी सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न करने में सहायक होगी
वीडियो सीडी/डीवीडी का विवरण
वीडियो सीडी/डीवीडी का विवरण इस प्रकार है :-
(i). वैलकम टू इंडिया - हिंदीतर भाषियों और विदेशियों के लिए होटल, बाज़ार, रेस्तराँ जैसे स्थानों पर हिंदी में किए जाने वाले सामान्य वार्तालाप को इस भाग में प्रस्तुत किया गया है।
(ii). 'आप', 'तुम' और 'तू' का प्रयोग - इसमें 'आप', 'तुम' और 'तू' सर्वनामों के विविध प्रयोगों को समझाया गया है।
(i). कर्ता + 'ने' संरचना - हिंदी वाक्य संरचना के तीन महत्वपूर्ण अंगों - कर्ता, कर्म और क्रिया की अन्विति को इस सी.डी. में समझाया गया है।
(ii). 'तो', 'भी' और 'ही' का प्रयोग - 'तो', 'भी' और 'ही' अव्ययों / निपातों के प्रयोग से वाक्य के अर्थ और भाव बदल जाते हैं, किंतु उनका अपना रूप नहीं बदलता । इसकी जानकारी सीडी के इस भाग में है।
(i). कर्ता + 'को' का योग - इसमें हिंदी वाक्य में 'को' के प्रयोग को सरल एवं रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है । 'को' का प्रयोग हिंदी वाक्यों में चेतन कर्म के साथ तथा विभिन्न स्थितियों में चेतन कर्ता के साथ होता है। जैसे - शारीरिक कष्ट या रोग बताने में, पसंद, रुचि आदि दर्शाने में, जानना, मालूम होना आदि के अर्थों में तथा जरूरत, आभार, विवशता आदि बताने में । इस सीडी में इन सभी प्रयोगों के बारे में जानकारी मिल सकती है।
(ii). मुहावरों का प्रयोग - यह बिंदु हिंदी में मुहावरों के प्रयोग तथा उनके अर्थ से संबंधित है। मुहावरे विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में प्रभावोत्पादकता एवं रोचकता आ जाती है। यह सीडी मुहावरों की इन्हीं विशेषताओं को दर्शाती है ।
इस सीडी में लिंग की पहचान संबंधी सिद्धांतों को स्पष्ट किया गया है। संज्ञा या क्रिया के रूप का लिंग वाक्यों में प्रयुक्त 'मेरा-मेरी' जैसे सर्वनामों और 'बड़ा-बड़ी' जैसे विशेषणों से पहचाना जाता है। इस सीडी से लिंग निर्धारण के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
(i). संयुक्त क्रिया - संयुक्त क्रिया दो क्रियाओं के मेल से बनती है। इसमें पहली है - 'मुख्य क्रिया' और दूसरी है 'रंजक क्रिया'। संयुक्त क्रिया के विभिन्न रूपों को इस सीडी में समझाया गया है।
(ii). कर्ता + क्रिया अन्विति - हिंदी में क्रिया के रूपों के अनुसार वाक्य के तीन प्रकार होते हैं- कर्तावाचक, कर्मवाचक और भाववाचक। इस सीडी में कर्ता+क्रिया अन्विति को विशेष रूप से समझाया गया है।
(i). कर्ता - क्रिया अन्विति - हिंदी में कर्ता के लिंग, वचन आदि के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना 'अन्विति' कहलाता है। क्रिया के अनुसार तीन प्रकार के वाक्य निर्माण होते हैं। विषय परक निर्माण, उद्देश्यपरक निर्माण तथा तटस्थ निर्माण। विषयपरक निर्माण में क्रिया की विषय के साथ सहमति होती है, उद्देश्यपरक निर्माण में क्रिया की वस्तु के साथ सहमति होती है जबकि तटस्थ निर्माण में क्रिया हमेशा एक वचन (पु.) के रुप में प्रयुक्त होती है । इस सीडी में कर्ता-क्रिया अन्विति के प्रयोगों को समझाया गया है।
(ii). वर्तनी का मानकीकरण - हिंदी की देवनागरी लिपि वैज्ञानिक लिपि है फिर भी एकरूपता की दृष्टि से उसमें मानकीकरण के कई नियम निर्धारित किए गए हैं । इस सीडी में उन्हीं नियमों की जानकारी दी गई है।
यह सीडी उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्होंने हिंदी सीखना शुरु किया है और जो अपने दिन प्रतिदिन के व्यवहार के लिए हिंदी में बोलचाल और वार्तालाप का रूप सीखना चाहते हैं। यह उन पर्यटकों और यात्रियों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है, जो हिंदी वार्तालाप के विभिन्न रूपों से परिचित होना चाहते हैं|
(i). हिंदी में लिंग निर्धारण
(ii). कर्ता - क्रिया अन्विति
(i). हिंदी में लिंग निर्धारण
(ii). कर्ता - क्रिया अन्विति
(i). हिंदी में लिंग निर्धारण
(ii). कर्ता - क्रिया अन्विति
इस सीडी में संज्ञाओं एवं विशेषणों के बहुवचन बनाने के नियमों तथा परसर्ग के प्रयोग से संज्ञाओं और विशेषणों में होने वाले परिवर्तनों को रोचक एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
यह सीडी आज्ञार्थक वाक्य संरचना से संबंधित है। अपने से छोटे, बड़े और हम उम्र व्यक्तियों को संबोधित करते समय क्रिया के उचित रूपों के प्रयोग की जानकारी इस सीडी में रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत की गई है।
इस सीडी में हिंदी के कृदंत रूपों के बारे में चर्चा की गई है। इसके माध्यम से कृदंत के विभिन्न प्रकार तथा वाक्य में उनके सही प्रयोगों के बारे में रोचक जानकारी हासिल की जा सकती है।
इसमें हिंदी 'काल' के बारे में चर्चा की गई है। इसके माध्यम से हिंदी के विभिन्न कालों तथा वाक्य में उनके सही प्रयोगों के बारे में रोचक जानकारी हासिल की जा सकती है। इस सीडी में मूल क्रिया रूप से विभिन्न क्रिया रूपों के निर्माण और उनके हिंदी वाक्यों में प्रयोग के संबंध में भी जानकारी दी गई है।
यह सीडी अंग्रेजी-हिंदी वार्तालाप पुस्तक का सीडी रूपांतरण है। इस सीडी के माध्यम से विभिन्न स्थितियों/ परिस्थितियों में प्रयुक्त अंग्रेजी वाक्यों के हिंदी रूपांतरण के बारे में समझा जा सकता है।
इन दो सीडी में हिंदी के अखिल भारतीय स्वरूप पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। यह कार्यक्रम प्रमुखत: समाज भाषाविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर विकसित किया गया है।
इस सीडी में भारतीय जनमानस के विभिन्न संस्कारों, रीति-रिवाजों का वर्णन किया गया है। साथ ही इसमें भारत के विभिन्न राज्यों के लोकगीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का बहुरंगी प्रस्तुतीकरण है।
यह कार्यक्रम हिंदी के 'कारक चिह्नों' पर आधारित है। इसमें विभिन्न परिस्थितियों में प्रयुक्त होने वाले कारक चिह्नों के सही प्रयोग को समझाया गया है।
किसी भी शब्द विशेष के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए 'उपसर्ग' और 'प्रत्ययों' की जानकारी आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उक्त विषयक एक घंटे की वीडियो सीडी तैयार की गई है। इसके माध्यम से जिज्ञासु शब्द-संरचना तथा नव शब्द-निर्माण संबंधी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकता है।
ये सीडी हिंदी की विकास यात्रा से संबंधित हैं। वस्तुत: हम लोग हिंदी बोलते तो जरूर हैं परंतु उसके बारे में जानते बहुत कम हैं। इस कारण हम लोग हिंदी की समृद्धशाली परंपरा से अवगत होने से वंचित रह जाते हैं। जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट है कि ये दोनों सीडी हिंदी की समृद्धशाली विकास-यात्रा को रेखांकित करती हैं। ये न केवल हिंदी भाषा एवं साहित्य के छात्रों के लिए अपितु अनुसंधानकर्ताओं, सामान्य प्रयोक्ताओं के लिए भी समान रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।
इस सीडी के माध्यम से हिंदी के विभिन्न अलंकारों के बारे में रोचक एवं बोधगम्य तरीके से बताया गया है।
यह सीडी हिंदी व्याकरण के प्रमुख पक्ष समास के विषय में जानकारी देती है। इसके माध्यम से समास के विविध पक्षों को रोचक तरीके से बताने का प्रयास किया गया है।
इन दोनों सीडी के माध्यम से दैनंदिन हिंदी वाक्यों के प्रयोग को समझाया गया है। इनमें कार्यालय, पत्रकारिता, कानून, विज्ञापन आदि में प्रयुक्त होने वाली हिंदी की प्रयोजनमूलकता को दर्शाया गया है।
यह सीडी व्याकरणिक बिंदु 'संज्ञा' पर आधारित है। इस सीडी में 'संज्ञा' की परिभाषा तथा उसके विभिन्न भेद-उपभेदों की विस्तृत चर्चा की गई है।
यह सीडी व्याकरणिक बिंदु 'सर्वनाम' पर आधारित है। इस सीडी में 'सर्वनाम' की परिभाषा तथा उसके विभिन्न भेद-उपभेदों की विस्तृत चर्चा की गई है।
यह सीडी व्याकरणिक बिंदु 'विशेषण' पर आधारित है। इस सीडी में 'विशेषण' की परिभाषा तथा उसके विभिन्न भेद-उपभेदों की चर्चा की गई है।
इन दो सीडी को विशेष रूप से हिंदी साहित्य के 'भक्ति काल' को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इन सीडी / डीवीडी के माध्यम से दर्शक निस्संदेह भक्ति साहित्य और हमारी उच्च परंपराओं / संस्कृति की मधुर यात्रा को जान पाएंगे। दो भागों में विभक्त यह सीडी हिंदी साहित्य के ‘भक्तिकाल’ खंड को लेकर बनाई गई है। इन सीडी के माध्यम से दर्शक नि:संदेह भक्ति साहित्य और हमारी उदात्त परंपराओं तथा संस्कृति का परिचय प्राप्त कर सकेंगे।
दो भागों में विभक्त यह सीडी हिंदी की कहावतों-लोकोक्तियों को लेकर बनाई गई है। यह पूरा कार्यक्रम प्रश्नोत्तरी शैली में रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
किसी भी हिंदी शिक्षार्थी के लिए हिंदी के शब्दों की संरचना एवं उसकी उत्पत्ति, प्रकृति आदि के बारे में जानना रोचक हो सकता है। इस क्रम में कार्यक्रम विशेष में हिंदी के शब्दों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
वाक्य में क्रिया-विशेषण का अपना एक अलग ही महत्व है। कार्यक्रम विशेष को उच्च भाषा शिक्षण के सिद्धातों के आधार पर विकसित किया गया है। निस्संदेह यह कार्यक्रम हिंदी भाषा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
हिंदी साहित्य के सांस्कृतिक स्रोत दो भागों में विभक्त इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्य के उन सांस्कृतिक स्रोतों को रेखांकित किया गया है, जिससे हमारा हिंदी साहित्य अनवरत पुष्पित और पल्लवित होता रहा है। यह कार्यक्रम निस्संदेह सुधिजनों के लिए संग्रहणीय है।
वर्तमान समय में विभिन्न भाषा भाषियों के मध्य अनुवाद एक सेतु का कार्य करता है। अत: अनुवादकों के लिए अनुवाद के सैदधांतिक और व्यावहारिक पक्षों के बारे में जानना काफी लाभप्रद है। प्रयोक्ता कार्यक्रम विशेष को देखकर अनुवाद-प्रविधि पर अपना अधिकार बना सकते हैं।
तीन भागों में विभक्त कार्यक्रम-विशेष हिंदी वर्णमाला के सभी पक्षों को सरलता से प्रस्तुत करता है। इस कार्यक्रम में वर्ण, अक्षर, वर्ण-गुच्छ संबंधी संकल्पनाओं को सरलतापूर्वक समझाया गया है। यह कार्यक्रम हिंदी व्याकरण के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
किसी भी वाक्य में क्रिया का अपना एक अलग ही महत्व है। क्रिया की संकल्पना को जाने-समझे बिना हम हिंदी वाक्य संरचना पर अपना अधिकार प्राप्त नहीं कर सकते। कार्यक्रम - विशेष क्रिया के सभी पक्षों को सरल शब्दों में स्पष्ट करता है।
तीन भागों में विभक्त इस कार्यक्रम में हिंदी गद्य साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है। हिंदी गद्य-साहित्य के प्रमुख निर्माताओं के बारे में सारगर्भित जानकारी इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण है।
हिंदी शिक्षार्थी, अनुवादको, पत्रकारों एवं सामान्य प्रयोक्ताओं के लिए शब्दकोश की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। तीन भागों में विभक्त इस कार्यक्रम में कोश की परिभाषा, कोश का इतिहास एवं कोश निर्माण की विभिन्न प्रविधियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। यह कार्यक्रम भाषा-विज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। इस कार्यक्रम में कोश के लक्ष्य एवं उद्देश्यों और कोशों के वर्गीकरण के विषय में भी चर्चा की गई है।
हिंदी व्याकरण एवं भाषा-शिक्षण में संधि का अपना एक अलग ही महत्व है। यह कार्यक्रम व्याकरणिक बिंदु 'संधि' के सभी पक्षों को समेकित रूप में प्रस्तुत करता है, अतएव हिंदी के छात्रों के लिए संग्रहणीय है।
तीन भागों में विभक्त यह कार्यक्रम हिंदी की गौरवशाली यात्रा की कहानी कहता है। यह कार्यक्रम हिंदी के विकास को दो स्तरों यथा- राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बखूबी चिह्नित करता है। कार्यक्रम-विशेष प्रकृति में अत्यंत सूचनाप्रद एवं शिक्षाप्रद है।
इस कार्यक्रम में परिभाषिक शब्दावली की मूलभूत संकल्पनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
पारिभाषिक शब्दावली: निर्माण प्रक्रिया कार्यक्रम में पारिभाषिक शब्दों का निर्माण कैसे होता है। ये अपनी अर्थगत स्थिरता कैसे प्राप्त करते है? हिंदी प्रयोक्ताओं के लिए यह जानना न केवल रोचक है अपितु ज्ञानवर्धक भी है। इस कार्यक्रम-विशेष में पारिभाषिक शब्दावली की निर्माण-प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक बताया गया है। तकनीकी शब्दावली, अनुवाद और शोध के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए यह लाभदायक सिद्ध होगा।
पारिभाषिक शब्दावली: वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयत्न कार्यक्रम के अंतर्गत पारिभाषिक शब्दावली को जन-जन में लोकप्रिय बनाने के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर अनेक भागीरथ प्रयत्न किए जा रहे है। कार्यक्रम-विशेष में पारिभाषिक शब्दावली के क्षेत्र में कार्यरत कतिपय वैयक्तिक, संस्थागत एवं सरकारी प्रयत्नों का लेख-जोखा प्रस्तुत है।
हिंदी के वाक्यों की कतिपय गूढ़ संकल्पनाओं को सरल एवं रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। हिंदी शिक्षार्थी के लिए कार्यक्रम-विशेष की उपयोगिता स्वयं-सिद्ध है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सटीक वाक्यों का प्रयोग हमारी अभिव्यक्ति में चार चाँद लगा देता है। इस क्रम में हिंदी भाषा शिक्षार्थी के लिए वाक्य निर्माण की प्रक्रियाओं को जानना आवश्यक है। कार्यक्रम-विशेष में वाक्य-निर्माण की विविध प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
वाक्य वर्गीकरण के बारे में जानना हम सबके लिए उपयोगी है। इस कार्यक्रम में वाक्य वर्गीकरण के विभिन्न आधारों को सरल तरीके से समझाया गया है।
कार्यक्रम विशेष में भारतेंदु एवं द्विवेदीयुगीन हिंदी पद्य साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों को विद्वतापूर्ण शैली में बताया गया है। हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए यह कार्यक्रम एक संदर्भ माना जा सकता है।
यह कार्यक्रम आधुनिक हिंदी पद्य साहित्य के छायावादी काल की प्रमुख प्रवृत्तियों के बारे में बताता है। छायावादी साहित्यकारों के प्रमुख अवदानों के बारे में जानना हिंदी साहित्य के छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अत: संग्रहणीय है।
यह कार्यक्रम प्रगतिवाद एवं प्रयोगवाद तथा नई कविता पर्यंत विभिन्न काव्यांदोलनों तथा उनके प्रमुख रचनाकारों और कृतियों के परिप्रेक्ष्य में काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों एवं उनकी शिल्पगत विशेषताओं पर प्रकाश डालता है।
हम जानते हैं कि हिंदी भारत के राजकाज की भाषा है। कार्यक्रम विशेष में भाषा- संबंधी कतिपय मूलभूत सिद्धातों पर प्रकाश डाला गया है। इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान में हिंदी संबंधी विभिन्न प्रावधानों के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है।
भारतीय संविधान के परिप्रेक्ष्य में व्यावहारिक स्तर पर हिंदी संबंधी नीतियों के कार्यान्वयन पर यह कार्यक्रम केंद्रित है। यह कार्यक्रम हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगे विभिन्न कार्यकर्ताओं एवं अधिकारियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
हिंदी को लोकप्रिय बनाने की दिशा में अनेक वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयत्न किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से इन्हीं भगीरथ प्रयत्नों को समेकित रूप से प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया गया है। यह कार्यक्रम हिंदी के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में रत हिंदी सेवकों को प्रेरणा प्रदान करता है।
यह सीडी हमें निदेशालय की विभिन्न योजनाओं से अवगत करवाती है। यह सीडी नि:शुल्क उपलब्ध है।
हिंदी में विराम-चिह्न (प्रथम भाग) में पूर्ण विराम, प्रश्न- चिह्रन, विस्मयसूचक चिह्रन, उपविराम और अर्धविराम की चर्चा है। साथ ही साथ भाषा के मौखिक स्तर पर प्रयुक्त होने वाले स्वराघात,बलाघात एवं अनुतान आदि की चर्चा भी की गई है।
हिंदी में विराम-चिह्रन (द्वितीय भाग) में अल्पविराम, उर्ध्व-विराम, निर्देंशक-चिह्न, विवरण-चिह्न, उद्धरण-चिह्न, शब्द-चिह्न, कोष्ठक, लोप-चिह्न, संक्षेप-सूचक चिह्न, हंसपद और योजक चिह्न की चर्चा है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार: जयशंकर प्रसाद (प्रथम भाग) विषयक कार्यक्रम में जयशंकर प्रसाद के सृजन के विभिन्न आयामों यथा काव्य उपन्यास एवं निबंध आदि की चर्चा की गई है। कार्यक्रम में जयशंकर प्रसाद के आरंभिक जीवन के बारे में भी चर्चा है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार: जयशंकर प्रसाद विषयक कार्यक्रम के द्वितीय - भाग में नाटककार एवं कहानीकार जयशंकर प्रसाद के बारे में चर्चा है।
इस कार्यक्रम के प्रथम भाग में विविध प्रकार के पत्रों यथा अनौपचारिक, औपचारिक पत्र, कार्यालययीन पत्रों की भाषा एवं प्रकृति तथा स्वरुपगत ढाँचे के बारे में चर्चा है।
कार्यक्रम के द्वितीय भाग में सरकारी पत्र, अर्धसरकारी पत्र, अनुस्मारक, पावती, पृष्ठांकन, कार्यालय-आदेश, परिपत्र आदि की चर्चा है।
मौखिक अभिव्यक्ति विषयक कार्यक्रम के प्रथम भाग में मौखिक अभिव्यक्ति के कतिपय पक्षों यथा-काव्य पाठ, वार्तालाप, वाद-विवाद के संदर्भ में प्रकाश डाला गया है।
मौखिक अभिव्यक्ति विषयक कार्यक्रम के द्वितीय भाग में मौखिक अभिव्यक्ति के अन्य पक्षों यथा-भाषण, आशुभाषण, कहानी कहना, परिचर्चा, साक्षात्कार एवं मंच-संचालन के बारे में विस्तृत चर्चा है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर विषयक कार्यक्रम के प्रथम भाग में लेखक के आरंभिक जीवन पर विस्तृत चर्चा है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ विषयक कार्यक्रम के द्वितीय भाग में उनकी सर्जनात्मक कृतियों पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही इसमें दिनकर के साहित्यिक अवदानों पर भी चर्चा की गई है।
लिपि की विकास यात्रा विषयक डीवीडी दो भागों में विभक्त हैं। इस कार्यक्रम में विविध लिपियों विशेषकर ब्राह्मी एवं देवनागरी लिपियों के संदर्भ में चर्चा है। इस कार्यक्रम में लिपि की विकास-यात्रा को रेखांकित करते हुए हिंदी के संदर्भ में देवनागरी लिपि के स्वरुप एवं उसकी विशेषताओं पर विस्तृत चर्चा की गई है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार विषयक कार्यक्रम के प्रथम भाग में हिंदी भाषा एवं साहित्य की सुपरिचित हस्ताक्षर कवि महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व विशेष के आरंभिक जीवन एवं उनकी कतिपय रचनाओं पर चर्चा है।
इस कार्यक्रम के द्वितीय भाग में उनकी सर्जनात्मक कृतियों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। साथ ही उनके साहित्यिक अवदानों पर भी चर्चा की गई हैं।
इस कार्यक्रम के प्रथम भाग में पूर्वोत्तर भारत की उदात्त सुषमा पर प्रकाश डाला गया है, साथ-साथ इस भाग में इन पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी के पर्दापण की रोचक प्रस्तुति का भी वर्णन है।
इस कार्यक्रम का द्वितीय भाग पूर्णरुपेण पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के बढ़ते कदम को समर्पित है। इस भाग विशेष में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी के प्रचार-प्रसार, दशा एवं दिशा की यथार्थ प्रस्तुति का अपेक्षित प्रयास किया गया है।
हिंदी के भगीरथ साहित्यकार विषयक कार्यक्रम श्रृंखला की इस नवीन कड़ी में हिंदी भाषा एवं साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर प्रसिद्ध रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में चर्चा की गई है।
प्रथम भाग प्रमुख रुप से व्यक्ति-विशेष के आरंभिक जीवन एवं उनकी कतिपय रचनाओं पर केंद्रित है। वहीं द्वितीय भाग में उनकी सर्जनात्मक कृतियों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। साथ ही साथ हिंदी भाषा एवं साहित्य पर भारतेंदु हरिश्चंद्र के महत अवदानों की भी चर्चा है।
दक्षिण भारत में हिंदी विषयक कार्यक्रम के प्रथम भाग में दक्षिण भारत में संपर्क भाषा के रुप में हिंदी के व्यवहार तथा प्रचार-प्रसार की निर्देशनात्मक चर्चा है।
दक्षिण भारत में हिंदी विषयक कार्यक्रम के द्वितीय भाग में दक्षिण भारत में हिंदी शिक्षण की स्थिति, हिंदी सेवियों एवं संस्थाओं, अनुवादकों, लेखकों एवं पत्रकारिता संबंधी जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
वार्तालाप पुस्तकें
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा 1968 से पत्राचार द्वारा हिंदीतरभाषी भारतीयों एवं विदेशी छात्रों को भारत में और भारत से बाहर हिंदी सिखाने का कार्य किया जा रहा है। इस सिखाने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के क्रम में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 क्षेत्रीय भाषाओं एवं हिंदी को लेकर द्विभाषी वार्तालाप पुस्तकों और स्वयंशिक्षक (पुस्तकों) को तैयार करके प्रकाशित करने का क्रम आज तक जारी है।
वार्तालाप पुस्तकों का निर्माण उन लोगों को ध्यान में रखकर किया गया है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है तथा जो अपने दैनिक जीवन में प्रयोग के लिए हिंदी भाषा के वार्तालाप को सीखना चाहते हैं। यह उन पर्यटकों के लिए भी उपयोगी है जो हिंदी भाषा की उन आधारभूत सरंचनाओं से परिचित होना चाहते हैं जिसे वे हिंदी क्षेत्रों में पर्यटन के दौरान उपयोग में ला सकें। इन पुस्तकों के माध्यम से हिंदी भाषी भी हिंदीतर भाषाओं के शब्दों/वाक्यों से परिचित हो सकते हैं क्योंकि क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द/वाक्य देवनागरी लिपि में भी दिए जाते हैं।
द्विभाषी वार्तालाप पुस्तक को दो भागों में बाँटा गया है। भाग-एक में अभिव्यक्तियाँ और वार्तालाप के वाक्य हैं । भाग-दो में दैनिक प्रयोग में आने वाली व्यावहारिक शब्दावली है। ये वार्तालाप पुस्तकें हिंदी - मूलक भी हैं और क्षेत्रीय भाषा - मूलक भी हैं। वार्तालाप पुस्तकों की सामग्री इस हेतु गठित भाषाविदों तथा विभागीय विशेषज्ञों की समिति द्वारा जाँची तथा परिवर्धित की गई है।
क्षेत्रीय-भाषा मूलक वार्तालाप पुस्तकें
1. अंग्रेजी-हिंदी वार्तालाप पुस्तक:
अंग्रेजी-हिंदी वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे- भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में तीन स्तंभ हैं-
- अंग्रेजी वाक्य/शब्द
- अंग्रेजी वाक्यों/शब्दों का हिंदी अनुवाद
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का रोमन में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20.रु, कुल पृष्ठ संख्या: 184, प्रकाशन वर्ष: 2013
2. तमिल-हिंदी-तमिल वार्तालाप पुस्तक:
तमिल – हिंदी - तमिल वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन, आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं–
- तमिल वाक्य/शब्द
- तमिल वाक्यों /शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- तमिल वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी अनुवाद का तमिल में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20.रु, कुल पृष्ठ संख्या: 238, प्रकाशन वर्ष: 2013
3. असमिया-हिंदी-असमिया वार्तालाप पुस्तक:
असमिया – हिंदी - असमिया वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मलिति किए गए हैं। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं–
- असमिया वाक्य/शब्द
- असमिया वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- असमिया वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी अनुवाद का असमिया में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 292, प्रकाशन वर्ष: 2008
4. पंजाबी-हिंदी-पंजाबी वार्तालाप पुस्तक :
पंजाबी - हिंदी - पंजाबी वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए है। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं-
- पंजाबी वाक्य/शब्द
- पंजाबी वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- पंजाबी वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी अनुवाद का पंजाबी में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्य़ार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 271, प्रकाशन वर्ष: 2016
5. डोगरी-हिंदी-डोगरी वार्तालाप पुस्तक:
डोगरी – हिंदी - डोगरी वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में दो स्तंभ हैं–
- डोगरी वाक्य/शब्द
- डोगरी वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद एवं लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 204, प्रकाशन वर्ष: 2017
6. नेपाली-हिंदी-नेपाली वार्तालाप पुस्तक :
नेपाली-हिंदी-नेपाली वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन, आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए है। प्रत्येक भाग में दो स्तंभ हैं-
- नेपाली वाक्य/शब्द
- नेपाली वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद एवं लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 205, प्रकाशन वर्ष : 2016
7. मलयालम-हिंदी-मलयालम वार्तालाप पुस्तक
मलयालम - हिंदी - मलयालम वार्तालाप पुस्तक के दो भाग है। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे–भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में तीन स्तंभ हैं-
- मलयालम वाक्य/शब्द
- मलयालम वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का मलयालम में लिप्यंतरण ।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य रु : 20, कुल पृष्ठ संख्या:189, प्रकाशन वर्ष: 1997
8. बंगला-हिंदी-बंगला वातार्लाप पुस्तक:
बंगला - हिंदी - बंगला वार्तालाप पुस्तक के दो भाग है। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी-वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं-
- बंगला वाक्य/शब्द
- बंगला वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- बंगला वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी-अनुवाद का बंगला में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 270, प्रकाशन वर्ष: 2001
9. मराठी-हिंदी-मराठी वार्तालाप पुस्तक :
मराठी - हिंदी - मराठी वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे-भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में दो स्तंभ हैं-
- मराठी वाक्य/शब्द
- मराठी वाक्य/शब्दों का हिंदी में अनुवाद एवं लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या:191, प्रकाशन वर्ष: 2018
10. ओडिआ-हिंदी-ओडिआ वार्तालाप पुस्तक
ओडिआ - हिंदी - ओडिआ वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे- भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं, दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मलिति किए गए हैं। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं –
- ओडिआ वाक्य
- ओडिआ वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- ओडिआ वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी अनुवाद का ओडिआ में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं। पुस्तक प्रकाशनाधीन है।
11. कन्नड़-हिंदी-कन्नड़ वार्तालाप पुस्तक:
कन्नड़- हिंदी - कन्नड़ वार्तालाप पुस्तक के दो भाग है। पहले भाग में विभिन्न विषयों जैसे–भाषा, परिचय, पर्यटन आदि के दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हिंदी वाक्य सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि के नाम सम्मिलित किए गए हैं। प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं।
- कन्नड़ वाक्य/शब्द
- कन्नड़ वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण
- कन्नड़ वाक्यों/शब्दों का हिंदी में अनुवाद
- हिंदी अनुवाद का कन्नड में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं। पुस्तक निर्माणाधीन है।
हिंदी मूलक वार्तालाप पुस्तकें
1. हिंदी-तेलुगु वार्तालाप पुस्तक:
हिंदी-तेलुगु वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में दैनिक प्रयोग में आने वाले वार्तालाप के वाक्य और अभिव्यक्तियाँ सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि शब्दावली अकारादिक्रम में सम्मिलित की गई है। प्रत्येक भाग के चार स्तंभ हैं-
- हिंदी वाक्य/शब्द
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का तेलुगु लिपि में लिप्यंतरण
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का तेलुगु भाषा में अनुवाद
- तेलुगु वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या : 201, प्रकाशन वर्ष: 2005
2. हिंदी-बंगला वार्तालाप पुस्तक:
हिंदी-बंगला वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में दैनिक प्रयोग में आने वाले वार्तालाप के वाक्य और अभिव्यक्तियाँ सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में नित्यप्रति प्रयोग में आने वाले शब्दों की सूची, दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि शब्दावली अकारादिक्रम में सम्मिलित की गई है।
प्रत्येक भाग में चार स्तंभ हैं–
- हिंदी वाक्य/शब्द
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का बंगला लिपि में लिप्यंतरण
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का बंगला भाषा में अनुवाद
- बंगला वाक्यों/शब्दों का देवनागरी में लिप्यंतरण।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 230, प्रकाशन वर्ष: 2008
3. हिंदी-अंग्रेजी वार्तालाप पुस्तक:
हिंदी-अंग्रेजी वार्तालाप पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में दैनिक प्रयोग में आने वाले वार्तालाप के वाक्य और अभिव्यक्तियाँ सम्मिलित हैं। दूसरे भाग में वस्तुएँ, संबंध, व्यवसाय द्योतक शब्द, शरीर के अवयव आदि शब्दावली आकारादिक्रम में सम्मिलित की गई है।
प्रत्येक भाग के तीन स्तंभ हैं–
- हिंदी वाक्य/शब्द
- हिदी वाक्यों/शब्दों का रोमन में लिप्यंतरण
- हिंदी वाक्यों/शब्दों का अंग्रेजी अनुवाद।
यह पुस्तक विद्यार्थियों एवं पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 146, प्रकाशन वर्ष: 2013
स्वयं शिक्षक पुस्तक
स्वयं शिक्षक का मुख्य उद्देश्य विभिन्न भाषा-भाषी भारतीयों के बीच भाषाई व्यवधान को दूर करना और भारत की भावात्मक एकता को पुष्ट करना है। स्वयं शिक्षक पुस्तकें, हिंदी भाषी भारतीयों एवं विदेशी प्रशिक्षुओं के लिये भाषा-शिक्षण संबंधी आवश्यकतों को ध्यान में रखते हुए प्रतिपूरक शैक्षिक सामग्री के रूप में तैयार की जाती हैं | स्वयं शिक्षक के चार भाग होते हैं जिनमें क्रमशः शब्दों का सचित्र परिचय, व्याकरण आधारित पाठ, विभिन्न परिस्थितियों पर आधारित पाठ तथा व्यावहारिक शब्दावली को समाहित किया जाता है । स्वयं शिक्षक उन अध्येताओं के लिए उपयोगी है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जो हिंदी भाषा को अपनी सुविधानुसार स्वाध्याय द्वारा सीखना चाहते हैं|
भाषा मूलक स्वयं शिक्षक
ओड़िआ-हिंदी स्वयं शिक्षक
केद्रीय हिंदी निदेशालय का पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग पिछले 44 वर्षों से हिंदीतर भाषी भारतीयों और विदेशियों को विभिन्न भाषाओं के माध्यम से हिंदी सिखा रहा है। इसी क्रम में ओड़िया हिंदी स्वयं शिक्षक का प्रथम संस्करण वर्ष 2007 में प्रकाशित हुआ। इस पुस्तक का निर्माण इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि ओड़िआ भाषी लोग एवं पर्यटक हिंदी भाषा, के आधार-भूत वाक्यों से परिचित हो सकें और इन क्षेत्रों की यात्रा के दौरान हिंदी में बातचीत कर सकें। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले शब्दों/वाक्यों का चयन किया गया हैं। ओड़िआ वाक्यों का हिंदी अर्थ एवं लिप्यंतरण भी दिया गया है। जिससे हिंदी भाषी लोग भी इसका प्रयोग कर सकेंगे। इस पुस्तक का दूसरा मुख्य उद्देश्य उन ओड़िआ भाषियों को हिंदी सिखाना है जो हिंदी सीखना चाहते हैं पर किसी कारणवश किसी नियमित संस्था में हिंदी सीखने के लिए प्रवेश नहीं ले पाते।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या:- 224, तृतीय संस्करण: 2007
कन्नड-हिंदी स्वयं शिक्षक
कन्नड-हिंदी स्वयंशिक्षक का प्रथम संस्करण वर्ष 1976 में प्रकाशित किया गया था। हिंदी भाषी लोग एवं पर्यटक भी कन्नड भाषा के आधारभूत वाक्यों से परिचित हो सकें और इन क्षेत्रों की यात्रा के दौरान कन्नड में बातचीत कर सकें। इस बात को ध्यान में रखकर तैयार की गई यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय हुई तथा इसका द्वितीय संस्करण 2003 में प्रकाशित किया गया। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले वाक्यों/शब्दों का चयन किया गया है। कन्नड वाक्यों का देवनागरी में लिप्यंतरण भी दिया गया है, जिससे कन्नड-भाषी भी इसका उपयोग कर सकें।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 196, द्वितीय संस्करण: 2003
मलयालम-हिंदी स्वयं शिक्षक
इस पुस्तक का निर्माण इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि मलयालम भाषी लोग एवं पर्यटक भी हिंदी भाषा के आधारभूत वाक्यों से परिचित हो सकें। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले/वाक्यों का मलयालम में अर्थ एवं लिप्यंतरण भी दिया गया है। जिससे हिंदी भाषी लोग भी इसका उपयोग कर सकें।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या:172 प्रथम संस्करण: 2003
बंगला हिंदी स्वयं शिक्षक
इस पुस्तक के निर्माण का उद्देश्य बंगला-भाषी लोगों एवं पर्यटकों को हिंदी भाषा के आधारभूत वाक्यों से परिचित कराना है। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले शब्दों /वाक्यों का बंगला में अर्थ एवं लिप्यंतरण भी दिया गया है जिससे हिंदी-भाषी लोग भी इसका उपयोग कर सकें। पुस्तक में शब्दों का सचित्र परिचय, व्याकरण आधारित पाठ, विभिन्न परिस्थितियों पर आधारित पाठ तथा व्यावहारिक शब्दावली को समाहित किया गया है I इस पुस्तक का दूसरा मुख्य उद्देश्य उन बांगला भाषियों को भी हिंदी सिखाना है जो किसी कारणवश विधिवत् संस्थागत अध्येता के रूप में हिंदी नहीं सीख पाते |
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 260, प्रथम संस्करण: 2001
हिंदी मूलक स्वयं शिक्षक
1. हिंदी-तमिल स्वयं शिक्षक
हिंदी-तमिल स्वयं शिक्षक की बढ़ती माँग को देखते हुए इसका तृतीय संस्करण वर्ष 1998 में निकाला गया। विभिन्न भाषा-भाषी भारतीयों के बीच व्यवधान को दूर करके भावनात्मक एकता को पुष्ट करने में स्वयंशिक्षक पुस्तकें उपयोगी रहती हैं। इस पुस्तक की सहायता से हिंदी-भाषी लोग तमिल भाषा सीख सकते हैं, साथ ही तमिल भाषा-भाषी हिंदी का ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं। दैनिक जीवन में आने वाले विभिन्न विषयों पर इस में पाठ दिए गए हैं जिसके अध्ययन से तमिल भाषा का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 218, तृतीय संस्करण:1998
2. हिंदी-कोंकणी स्वयं शिक्षक
इस पुस्तक का निर्माण इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि हिंदी भाषी लोग एवं पर्यटक कोंकणी भाषा की आधारभूत वाक्य संरचनाओं से परिचित हो सकें और इन क्षेत्रों की यात्रा के दौरान कोंकणी में बात कर सकें। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले शब्दों/वाक्यों का चयन किया गया हैं। हिंदी वाक्यों का कोंकणी में अनुवाद किया गया है। जिससे कोंकणी भाषी लोग भी इसका उपयोग कर सकें। प्रस्तुत पुस्तक का दूसरा मुख्य उद्देश्य उन हिंदी भाषियों को भी कोंकणी सिखाना है जो किसी कारणवश विधिवत् संस्थागत अध्येता के रुप में कोंकणी नहीं सीख पाए।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 173, प्रथम संस्करण: 2009
3. हिंदी मलयालम स्वयंशिक्षक
इस पुस्तक का निर्माण इस बात को ध्यान में रखकर किया गया कि हिंदी-भाषी लोग एवं पर्यटक मलयालम भाषा की आधारभूत वाक्य संरचनाओं से परिचित हो सकें और इन क्षेत्रों की यात्रा के दौरान मलयालम में बात कर सकें। इस पुस्तक में दैनिक प्रयोग में आने वाले शब्दों/वाक्यों का चयन किया गया है एवं हिंदी वाक्यों का मलयालम में अनुवाद किया गया है। जिससे मलयालम भाषी लोग भी इसका उपयोग कर सकें।
मूल्य: 20 रु, कुल पृष्ठ संख्या: 173, संस्करण: 2003
हिंदी स्वयंशिक्षक (अंग्रेजी माध्यम) निर्माणाधीन
हिंदी स्वयंशिक्षक (बंगला माध्यम) निर्माणाधीन
हिंदी स्वयंशिक्षक (तमिल माध्यम) प्रकाशनाधीन
हिंदी मूलक वार्तालाप पुस्तकें
(1). हिंदी – तेलुगु - हिंदी वार्तालाप पुस्तक
(2). हिंदी - बंगला - हिंदी वार्तालाप पुस्तक
(3). हिंदी - अंग्रेजी – हिंदी वार्तालाप पुस्तक
भाषा मूलक वार्तालाप पुस्तकें
(1). अंग्रेजी – हिंदी - अंग्रेजी वार्तालाप पुस्तक
(2). ओडिआ – हिंदी - ओडिआ वार्तालाप पुस्तक
(3). तमिल – हिंदी - तमिल वार्तालाप पुस्तक
(4). असमिया- हिंदी- असमिया - वार्तालाप पुस्तक
(5). पंजाबी – हिंदी - पंजाबी वार्तालाप पुस्तक
(6).डोगरी – हिंदी - डोगरी वार्तालाप पुस्तक
(7).नेपाली – हिंदी - नेपाली वार्तालाप पुस्तक
(8).मलयालम- हिंदी – मलयालम वार्तालाप पुस्तक
(9).बंगला – हिंदी - बंगला वार्तालाप पुस्तक
(10).मराठी - हिंदी - मराठी वार्तालाप पुस्तक
कुल वार्तालाप पुस्तकों की संख्या – 13
दृश्य श्रव्य साम्रगी
क्रमांक | वार्तालाप पुस्तकों पर आधारित सी.डी. | वर्ष |
---|---|---|
1 | असमिया - हिंदी - वार्तालाप सी.डी. | 2006 - 2007 |
2 | तमिल - हिंदी वार्तालाप सी.डी. | 2006 – 2007 |
3 | मिजो - हिंदी - मिजो वार्तालाप सी.डी. | 2007 – 2008 |
4 | हिंदी - तेलुगु वार्तालाप सी.डी. | 2007 – 2008 |
5 | बंगला - हिंदी - बंगला सी.डी. | 2008 – 2009 |
6 | ओडिआ - हिंदी - ओडिआ सी.डी. | 2008 – 2009 |
7 | कन्नड़ – हिंदी - कन्नड़ सी.डी. | 2008 – 2009 |
8 | मलयालम – हिंदी - मलयालम सी.डी. | 2008 – 2009 |
9 | कोंकणी – हिंदी - कोंकणी सी.डी. | 2009 – 2010 |
10 | मराठी - हिंदी - मराठी सी.डी. | 2009 – 2010 |
11 | गुजराती – हिंदी - गुजराती सी.डी. | 2009 – 2010 |
12 | पंजाबी – हिंदी - पंजाबी सी.डी. | 2009 – 2010 |
13 | हिंदी - कश्मीरी - हिंदी सी.डी. | 2010 – 2011 |
14 | अंग्रेजी – हिंदी - अंग्रेजी सी.डी. | 2010 – 2011 |
15 | मैथिली – हिंदी - मैथिली सी.डी. | 2010 – 2011 |
16 | उर्दू – हिंदी - उर्दू सी.डी. | 2010 – 2011 |
16 | मणिपुरी - हिंदी - मणिपुरी सी.डी. | 2010 – 2012 |
17 | संताली – हिंदी - संताली वार्तालाप सी.डी. | 2011 – 2012 |
18 | हिंदी - संस्कृत वार्तालाप सी.डी. | 2011 – 2012 |
19 | हिंदी - संस्कृत वार्तालाप सी.डी. | 2011 – 2012 |
20 | हिंदी – नेपाली वार्तालाप सी.डी. | 2013 – 2014 |
21 | हिंदी – बोडो वार्तालाप सी.डी. | 2014 – 2015 |
22 | नेपाली – हिंदी वार्तालाप सी.डी. | 2015 – 2016 |
मूल्य : प्रति सीडी रुपए 150/- मात्र (डाक तथा पैकिंग खर्च सहित)
सीडी/डीवीडी खरीदने के लिए संपर्क करें:
सामग्री को सीएचडी बिक्री काउंटर पर या तो निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली -110066 में देय डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से या दिल्ली / नई दिल्ली में देय देय राशि के भुगतान पर खरीदा जा सकता है। इस संबंध में अनुरोध को संबोधित किया जा सकता है-
सहायक निदेशक ( बिक्री एकक )
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
पश्चिमी खंड - 7, आर.के. पुरम नई दिल्ली – 110066
दूरभाष: +91-11-26105211,+91-11-26103160