नि:शुल्क हिंदी पुस्तक वितरण योजना
हिंदीतरभाषी प्रदेशों में हिंदी के प्रचार – प्रसार केउद्देश्यसे यह योजना देश की द्वितीय पंचवर्षीय योजना के दौरान आरंभ की गई । इस योजना के अंतर्गत हिंदीतर भाषी राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों में स्थित शैक्षिक संस्थाओं, सार्वजनिक पुस्तकालयों और हिंदी से जुड़ी स्वैच्छिक संस्थाओं के लिए विधिवत चुनी गई हिंदी पुस्तकों / पत्रिकाओं की नि:शुल्क आपूर्ति की जाती है । इस प्रकार जहाँ एक ओर लोकप्रिय विज्ञान, मानविकी व सांझी संस्कृति पर आधारित हिंदी पुस्तकें ज्ञान–तृप्ति के साथ–साथ राष्ट्रीय अखंडता के वातावरण का निर्माण करती है, वहीं दूसरी ओर समीक्षा और सृजनात्मक साहित्य की मौलिक तथा अनूदित हिंदी पुस्तकें देश के भिन्न भाषा भाषियों में आपसी समझ बढ़ाते हुए भारतीय जनमानस को जोड़ने की महती भूमिका का निर्वाह भी करती हैं ।
चयन प्रक्रिया :-
नि:शुल्क पुस्तक – वितरण के लिए एक निर्धारित बजट के अनुसार निदेशालय की ओर से पुस्तकों / पत्रिकाओं की खरीद की जाती है । इस कार्य के निष्पादन के लिए एक सुनिश्चित चयन प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं :-
- पुस्तक चयन समिति का गठन :-क्रयार्थ पुस्तकों के चयन हेतु पुस्तक चयन समिति का गठन मंत्रालय के अनुमोदन से दो वर्ष की अवधि के लिए किया जाता है । समिति के सदस्य निम्नलिखित व्यवस्था के अनुसार नामित किए जाते हैं :-
- अध्यक्ष, संयुक्त सचिव (भाषाएँ)
- प्रतिष्ठित हिंदी समीक्षक
- प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार
- विख्यात हिंदी पत्रकार
- भारतीय दर्शन, धर्म एवं संस्कृति केविद्वान
- हिंदीतर भाषी हिंदीविद्वान
- सदस्य सचिव (निदेशक) के. हि. नि.
- विज्ञापन :-प्रतिवर्ष देश के प्रमुख राष्ट्रीय/ क्षेत्रीय समाचार–पत्रों में विज्ञापन देकर प्रकाशकों/ लेखकों से साहित्यिक और लोकप्रिय ज्ञान–विज्ञान पर आधारित हिंदी पुस्तकें / पत्रिकाएँ विचारार्थ आमंत्रित की जाती हैं ।
- प्रस्तावित पुस्तकों / पत्रिकाओं की सूची :-विज्ञापन के उत्तर में प्राप्त विचारार्थ पुस्तकों / पत्रिकाओं को जाँच कर उनकी एक व्यवस्थित सूची तैयार की जाती है ।
- पुस्तक चयन समिति की बैठक :-इस बैठक का आयोजन प्रतिवर्ष सदस्य सचिव के रूप में निदेशक करते हैं । यह बैठक सामान्यत : तीन दिनों के लिए आयोजित की जाती है । विस्तृत पुस्तक सूची और क्रमवार व्यवस्थित सभी पुस्तकों/ पत्रिकाओं का अवलोकन कर समिति पुस्तकों/ पत्रिकाओं का चयन करती है । बैठक के अंतिम दिन सभी सदस्यों की सहमति से चुनी गई पुस्तकों और पत्रिकाओं की मुख्य प्रति (मास्टर कॉपी) तैयार की जाती है । निदेशक को पुस्तक चयन समिति की संस्तुति से तैयार मुख्य सूची में निर्धारित बजट के सामंजस्य हेतु आंशिक परिवर्तन करने का अधिकार है ।
- पुस्तक/ पत्रिकाओं की खरीद :-उपर्युक्त सूची के आधार पर चुनी गई पुस्तकों / पत्रिकाओं के प्रस्तावकों को निदेशालय की ओर से क्रयादेश भेजे जाते हैं । क्रयार्थ पुस्तकों की प्रतियों की संख्या का निर्धारण पुस्तक के मूल्य पर आधारित होता है । पत्रिकाओं की प्रतियों की संख्या, चयन के समय ही समिति द्वारा तय की जाती है । वर्तमान में किसी एक प्रकाशक/ लेखक के लिए भुगतान की अधिकतम सीमा 40,000/- रुपए है । किसी एक पत्रिका का अधिकतम वार्षिक भुगतान 25,000/- रुपए तक सीमित है ।
पुस्तक – चयन के लिए महत्वपूर्ण बिंदु :-
इस योजना के अंतर्गत चुनी जाने वाली पुस्तकें विभिन्न विधाओं में रचित हो सकती हैं, यथा –
- कथात्मक साहित्य (उपन्यास और कहानी)
- नाटक और काव्य
- निबंध रेखाचित्र और यात्रा – संस्मरण
- जीवनी व आत्मकथा
- लोकप्रिय विज्ञान और सामान्य ज्ञान पर आधारित पुस्तकें ।
विचारार्थ पुस्तकों में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान अपेक्षित है :-
- पुस्तक की विषय-वस्तु विवादास्पद न हो ।
- पिछले पाँच वर्षों की अवधि के भीतर प्रकाशित हो और निदेशालय द्वारा पहले इसकी खरीद न की गई हो।
- पुस्तक सरल और आसान हिंदी में लिखी गई हो ।
- वे आकर्षक और साफ–सुथरे रुप में मुद्रित हो ।
- पुस्तकें रुचिपूर्ण और शिक्षाप्रद हो ।
- किसी संस्थागत / सरकारी अनुदान से प्रकाशित पुस्तक को सामान्यत : तब तक खरीद के लिए नहीं चुना जाएगा जब तक कि वह असाधारण रुप से उच्चस्तरीय व हिंदीतर राज्यों के लिए उपयोगी न हो ।
- एक लेखक की अधिक से अधिक तीन पुस्तकें चुनी जा सकती हैं ।
पत्र – पत्रिकाएँ :-
पुस्तक खरीद योजना हेतु निर्धारित बजट की 10 प्रतिशत राशि पत्र–पत्रिकाओं की खरीद के लिए आरक्षित है । पत्रिका–चयन के लिए साहित्यिक, गैर–व्यावसायिक और नियमित पत्रिकाओं को प्राथमिकता दी जाती है । पत्रिकाओं का चयन वार्षिक आधार पर किया जाता है । पुस्तक चयन समिति की ओर से समय–समय पर पत्रिका–क्रय के संबंध में निम्नलिखित निर्णय भी लिए गए हैं :-
- पत्रिकाओं के संस्थागत मूल्य और व्यक्तिगत मूल्य में निदेशालय को अधिकतम 25 प्रतिशत राशि का अंतर मान्य होगा । (कार्यवृत्त, 1999)
- नियमित पत्रिकाओं को वर्ष में एक संयुक्तांक की अनुमति भुगतान की दृष्टि से दी जा सकती है । (कार्यवृत्त, 1999)
- विलंब से प्रकाशित स्तरीय पत्रिका के चयन की स्थिति में / पत्रिका के प्रकाशन की तिथि ही क्रयादेश की अवधि के लिए मान्य होगी । प्रकाशन का माह, वर्ष पत्रिका पर अंकित होना चाहिए । (कार्यवृत्त, 2001)
संतोषजनक वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर अगले वर्ष के लिए पत्रिका की खरीद जारी रखी जा सकती है ।
पुस्तकों / पत्रिकाओं के चयन / क्रय संबंधी अन्य शर्तें
- पुस्तकों/ पत्रिकाओं पर मुद्रित मूल्य ही मान्य होता है । हाथ से लिखा/ चेपी या मुहर लगा मूल्य मान्य नहीं होगा ।
- पुस्तकों की खरीद पर न्यूनतम 25 प्रतिशत बट्टा लिया जाता है । प्रायः उपयुक्त पुस्तकों को उच्चतर बट्टे के साथ प्राथमिकता दी जाती हैं । पत्रिकाओं की खरीद पर बट्टा नहीं लिया जाता ।
- प्रकाशकों/ लेखकों की अपनी क्रयार्थ स्वीकृत पुस्तकों को निदेशालय तक पहुँचाने संबंधी भाड़ा और पैकिंग खर्च आदि का वहन स्वयं करना होगा । स्वीकृत पत्रिकाओं को निदेशालय द्वारा निर्धारित पतों पर भेजने का डाकखर्च प्रकाशक / व्यवस्थापक को स्वयं वहन करना होगा ।
- पुस्तकों की एक – एक प्रति तथा पत्रिका के नवीनतम दो अंक बिना शुल्क के विचारार्थ प्राप्त होने चाहिए । इन नमूना प्रतियों को न चुने जाने की स्थिति में भी प्रकाशक / लेखक / संपादक को लौटाया नहीं जाएगा ।
- पुस्तकें / पत्रिकाएं प्राप्त करने की अंतिम तिथि विज्ञापन प्रकाशित होने की तिथि से एक माह तक है । अंतिम तिथि के पश्चात प्राप्त पुस्तकों / पत्रिकाओं पर किसी भी परिस्थिति में विचार नहीं किया जाएगा ।
- प्रत्येक प्रकाशक अधिक से अधिक आठ शीर्षक विचारार्थ भेज सकता है, जो उसके अपने प्रकाशन से प्रकाशित हुई हों ।
- ऐसी पुस्तकें ही विचारार्थ भेजी जाएँ जो पिछले पाँच वर्षों की अवधि के भीतर प्रकाशित हुई हों और जिन्हें किसी संस्थागत / सरकारी अनुदान से प्रकाशित न किया गया हो ।
- प्रस्तावित पुस्तकों पर पुस्तक से संबंधित निम्नलिखित विवरण (टंकित) पुस्तक के भीतरी पृष्ठ पर चिपकाना आवश्यक है –
- पुस्तक का शीर्षक
- लेखक का नाम
- मूल अथवा अनुवाद
- प्रकाशक का नाम व पता
- प्रकाशन वर्ष
- विषय
- मुद्रित मूल्य
- बट्टा
- क्रयादेश भेजने का पता
- प्रस्तावक द्वारा हस्ताक्षरित इस आशय का प्रमाण–पत्र कि यह पुस्तक निदेशालय द्वारा पहले नहीं खरीदी गई है और यह उसका अपना प्रकाशन है । पत्रिका के संदर्भ में उसका वार्षिक शुल्क, अवधि और क्रयादेश भेजने का पता लिखना अपेक्षित है ।
- पुस्तकों के चयन और संख्या निर्धारण संबंधी भारत सरकार का निर्णय अंतिम रुप से मान्य होगा ।
- प्रकाशक/ लेखक को अपनी पुस्तकें भेजते समय अपना लेखा संख्या (PAN) देना आवश्यक है । चयनित पुस्तकों / पत्रिकाओं के बारे में सूचना दी जाती है तथा अन्य जिनका चयन नहीं होता उनके विषय में किसी भी प्रकार का पत्राचार नहीं किया जाएगा।
- पुस्तकों / पत्रिकाओं के चयन में किसी भी प्रकार की सिफारिश मान्य नहीं होगी ।
पुस्तकों / पत्रिकाओं का वितरण :-
इस योजना के अंतर्गत खरीदी गई पुस्तकें / पत्रिकाएँ निम्नलिखित प्रकार के पुस्तकालयों / संस्थाओं को भेजी जाती है :- हिंदीतर भाषी राज्यों में स्थित
- विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय
- महाविद्यालय
- केंद्रीय विद्यालय , नवोदय विद्यालय और राजकीय विद्यालय
- महत्वपूर्ण संस्थाएँ / संगठन /एवं सार्वजनिक पुस्तकालय ।
पुस्तकों / पत्रिकाओं के वितरण हेतु एक प्रेषण – सूची (मेलिंग लिस्ट) निदेशक के अनुमोदन से तैयार की गई है । समय – समय पर निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रभारी अधिकारियों की संस्तुति पर अथवा सीधे उक्त संस्थाओं से अनुरोध पत्र प्राप्त होने पर निदेशक के अनुमोदन से उन्हें प्रेषण-सूची (मेलिंग लिस्ट) में शामिल कर लिया जाता है ।