पांडुलिपि के लिए वित्तीय सहायता
हिंदी में प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना
परिचय
भाषाओं की प्रोन्नति के लिए स्वैच्छिक संस्थाओं और व्यक्तियों को सीमित प्रकाशन सहायता प्रदान करने के लिए माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा विभाग ने सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985 से 1990) में इसे एक योजना के रूप में सम्मिलित किया । वर्ष 1994-95 में इस योजना का विकेंद्रीकरण कर दिया गया तथा हिंदी में प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता योजना, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पत्र संख्या सं. – 17-1/94डी-1 (एल) दिनांक 15.06.94 द्वारा केंद्रीय हिंदी निदेशालय को स्थानांतरित कर दी गई । निदेशालय द्वारा तब से अनवरत इस योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है ।
संचालन के मानदंड
- यह योजना हिंदी भाषा के लिए विशिष्ट लेखा शीर्षों के अंतर्गत संचालित की जाएगी जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:-
हिंदी (अवधी, भोजपुरी, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगधी, राजस्थानी, ब्रज आदि सहित)
सहायता की सीमा
- योजना के अंतर्गत संस्वीकृत सहायता उक्त प्रकाशन के लिए कुल अनुमोदित व्यय के 80% (अस्सी प्रतिशत) और दुर्लभ पांडुलिपियों की वर्णनात्मक अनुक्रमणिकाओं के लिए 100% (सौ प्रतिशत) से अधिक नहीं होगी। इस उद्देश्य के लिए वर्णनात्मक अनुक्रमणिकाओं हेतु 500प्रतियों और अन्य प्रकाशनों के लिए 1100 प्रतियों तक के मुद्रण आदेश का प्रावधान है ।
- ऐसे व्यय में (जहाँ कोई स्थाई स्थापना नहीं है) लेखक /संपादक/ अनुवादक को पांडुलिपि तैयार करने (आशुलेखन/ टंकण सहित) के लिए मानदेय, कागज, प्रूफ रीडिंग तथा पुनरीक्षण, मुद्रण तथा जिल्दसाजी की लागत का प्रावधान हो सकता है । भवन किराया, यात्रा-व्यय, उपस्कर (जैसे टाइपराइटर और फर्नीचर, डाक-व्यय आदि) स्वीकार्य नहीं होगा ।
- पिछले दायित्वों, ऋणों को चुकाने के लिए अथवा संभावित बजट और सरकारी स्रोत से स्वीकार्य अनुदान में कमी को पूरा करने के लिए सहायता देने पर विचार नहीं किया जाएगा।
- अनुमोदित व्यय के संबंध में कोई भी निर्णय निदेशालय द्वारा ही लिया जाएगा ।
- इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सहायता राशि के संबंध में निर्णय करने से पूर्व सार्वजनिक निधियों के किसी अन्य स्रोत जैसे केंद्रीय सरकार के अन्य विभाग/ कोई राज्य सरकार/ कोई स्थानीय सार्वजनिक प्राधिकरण/ कोई अर्धसरकारी/ केंद्र अथवा राज्य के स्वायत्त निकाय से उसी परियोजना के लिए अनुमोदित/ प्रदत्त सहायता की प्रमात्रा में से पहले अनुमोदित व्यय प्राक्कलन को कम किया जाएगा ।
- इस योजना के अंतर्गत उपयुक्त अनुरोधों पर हिंदी भाषा के लिए अनुदान समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए गुणावगुण के आधार पर विचार किया जाएगा बशर्ते समिति का अध्यक्ष मंत्रालय से संबद्ध लेखा नियंत्रक के परामर्श से उपयुक्त / तत्काल मामलों में नया अनुदान अनुमोदित करने में सक्षम हो । यह समिति की अगली बैठक में ऐसे निर्णयों की जानकारी देने पर निर्भर करेगा ।
सहायता का क्षेत्र
इस योजना के अंतर्गत विचार हेतु निम्न प्रकार के प्रकाशन रखे जा सकते हैं :-
- विश्वकोश जैसी संदर्भ पुस्तकें, ज्ञान पुस्तक संग्रह, ग्रंथसूची व शब्दकोश। शब्दकोश के मामले में (जो एक या अधिक भाषाओं में हो सकता है) शब्दकोश की आधार भाषा यथा-हिंदी से संबंधित लेखे के उपशीर्ष से खर्च वहन किया जाएगा ।
- दुर्लभ पांडुलिपियों के व्याख्यात्मक सूचीपत्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्र में 500 प्रतियों तक मुद्रण आदेश के साथ ।
- विभिन्न भाषाओं के लिए स्वयं शिक्षक / स्वयं अनुदेशक, जिसकी आधार भाषा हिंदी हो।
- भाषाविज्ञान, साहित्यिक (उपन्यास, नाटक, कविता तथा शोध प्रबंध को छोड़कर) सामाजिक, मानव विज्ञान तथा सांस्कृतिक विषयों पर मूल लेखन ।
- प्राचीन पांडुलिपियों के आलोचनात्मक संस्करण और / या प्रकाशन ।
- ऊपर सूचित विषयों पर मूल रूप में अन्य भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद व प्रकाशन।
- विभिन्न भारतीय भाषाओं के प्राचीन शास्त्रीय ग्रंथों का देवनागरी में लिप्यंतरण और हिंदी अनुवाद सहित हिंदी भाषा में प्रकाशन ।
- 30 वर्ष से अधिक समय से पहले प्रकाशित तथा जो उपलब्ध नहीं है ऐसी दुर्लभ पुस्तकों का पुनर्मुद्रण / संशोधित संस्करण ।
- कोई अन्य प्रकाशन जिससे हिंदी की प्रोन्नति सुनिश्चित हो ।
पात्रता
- स्वैच्छिक संगठन/ सोसायटी/ धर्मार्थन्यास जो उस समय लागू, संगत, केंद्रीय या राज्य अधिनियम के अधीन पंजीकृत हैं तथा साथ-साथ वह व्यक्ति जो लेखक/ संपादक है या वह व्यक्ति जो पुस्तक प्रकाशित करना चाहता है और उसका सर्वाधिकार (कॉपीराइट) रखना चाहता है, (व्यावसायिक प्रकाशनों को छोड़कर) सहायता हेतु आवेदन करने के पात्र होंगे ।
बशर्ते कि आवेदक संगठन का स्वरूप ऐसा नहीं होना चाहिए कि वह अपने कार्यकलापों से होने वाले किसी भी लाभ को बोनस या लाभांश के रूप में अपने सदस्यों या धारकों के बीच वितरित करने के लिए कार्य कर रहा हो अथवा निगमित / पंजीकृत हो ।
- भाषाओं की प्रोन्नति के उद्देश्य से राज्य सरकारों द्वारा पंजीकृत एवं सहायता प्राप्त अकादमियाँ और संगठन भी हिंदी में प्रकाशन अनुदान के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे । इसी प्रकार विश्वविद्यालय भी (राज्य विश्वविद्यालय के संबंध में राज्य सरकार के माध्यम से तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से) उन परियोजनाओं के संबंध में आवेदन करने के पात्र होंगे जिन्हें संबंधित राज्य सरकारों या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पूर्ण रूप से सहायता प्राप्त नहीं होती ।
- सरकार यथा आवश्यक ऐसी सलाह प्राप्त करने के बाद योजना के प्रावधानों के पैरा 4.1 में सूचीबद्ध प्रकार से साहित्य निर्माण को शुरू करने के लिए अलग-अलग छात्रों, विश्वविद्यालयों और पंजीकृत स्वैच्छिक संगठनों को कार्य सौंप सकती है ।
आवेदन पत्र प्रस्तुत करना
- हिंदी में प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता के लिए निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग,मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पश्चिमी खंड – 7, रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली – 110066 को प्रत्येक पुस्तक के संबंध में अलग अलग रूप से प्रस्तुत करना होगा जो यथा प्रासंगिक प्रोफार्मा में अपनी सिफारिशें करेगा।
- आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र में दर्शाए गए दस्तावेजों के साथ दो प्रतियों में करने होंगे ।
- जहाँ प्रस्ताव में प्रकाशन/ पुनर्मुद्रण/ संशोधित संस्करण शामिल हों, तो पांडुलिपि/ पुराने संस्करण की दो प्रतियाँ यह सुनिश्चित करते हुए आवेदन पत्र के साथ भेजी जानी चाहिए कि मूल प्रति प्रार्थी के पास सुरक्षित है । प्रार्थी द्वारा प्रकाशित पिछले प्रकाशन (यदि कोई हो) की एक विवरणात्मक सूची, इस संबंध में शीर्षक, विषयवस्तु, सूची और प्रस्तावित प्रकाशन के स्थितीय महत्व को दर्शाते हुए परियोजना रिपोर्ट जोकि परियोजना इत्यादि के लिए व्यावसायिक दक्षता, वित्तीय और संस्थापन सहायता से संबंधित हो, के अलावा भेजी जानी चाहिए ।
- आवेदन पत्र, तिथियों की उपलब्धता और प्रशासनिक सुविधा के अनुसार, उचित स्तरों पर विचार करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर से 31जनवरी तक प्रस्तुत किए जा सकते हैं ।
अनुदान की शर्तें
- अनुदानग्राही, संस्वीकृत अनुदान जारी करने से पूर्व इस आशय का एक बंध-पत्र (संलग्न प्रपत्र में) भरेगा, कि अनुदान से शुरू किया जाने वाला कार्य, उचित समय के भीतर पूरा किया जाएगा जिसकी अवधि प्रथम किश्त की संस्वीकृति की तिथि अथवा अनुदानग्राही के पूर्व अनुरोध पर सरकार द्वारा बढ़ाई गई तथा निर्धारित तारीख से एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और अनुदान केवल उसी उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जाएगा जिसके लिए संस्वीकृत किया गया है । ऐसा न करने पर, संगठन पूरा संस्वीकृत अनुदान ब्याज सहित, जिसका निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है, सरकार को लौटाने के लिए उत्तरदायी होगा। पुस्तकों की प्रतियों की खरीद के मामले में कोई बंध पत्र नहीं भरा जाएगा ।
- पुस्तकों की प्रतियों की खरीद के मामले में देय भुगतान संस्वीकृति प्रासंगिक प्रक्रिया, जिसका विवरण पैरा 8.3 और 8.4 में दिया गया है को पूरा कर लेने के बाद, बिल प्राप्त होने पर, एक ही किश्त में किया जाएगा ।
- प्रकाशन के मामले में जैसा कि सरकार ने निर्णय लिया है अनुमोदित अनुदान, प्रकाशन की प्रकृति व प्रगति के आधार पर उचित किश्त में दिया जाएगा तथा किसी भी मामले में एक किश्त में नहीं दिया जाएगा ।
- सरकार को यह छूट होगी कि वह समय-समय पर अनुदानग्राही को जब भी आवश्यक हो, अनुमोदित प्रकाशनों के प्रपत्र व विषयवस्तु पर इस प्रकार के सुझाव / निर्देश दे सकती है तथा अनुदानग्राही को इसका पालन करना होगा । पांडुलिपियों के आलोचनात्मक संस्करण के मामले में इस प्रकार के निर्देशों में टिप्पणियाँ, तुलनात्मक पाठ, उपलब्ध पाठ्यपुस्तकों की प्रामाणिकता, लेखक पर जीवनी-टिप्पणी आदि का अध्ययन शामिल हो सकता है ।
- अंतिम किश्त देने पर विचार केवल (कुल अनुमोदित अनुदान का एक तिहाई से कम नहीं) अनुदानग्राही से निम्नलिखित साम्रगी प्राप्त होने के पश्चात ही किया जाएगा :-
- चार्टरित लेखाकार द्वारा प्रमाणित प्रकाशन की संपूर्णता पर कुल व्यय के संबंध में लेखे (जो विश्विद्यालय के मामले में वित्त / लेखा परीक्षा अधिकारी तथा रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित हो) ।
- कुल अनुमोदित व्यय के संबंध में चार्टरित लेखाकार द्वारा प्रमाणित उपयोगिता प्रमाण-पत्र,
- अनुदानग्राही द्वारा यथावत हस्ताक्षरित परियोजना पूर्ण होने की रिपोर्ट यदि कोई है, तथा
- अंतिम रूप से प्रकाशित तीस सम्मानार्थ प्रतियाँ।
- योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता से प्रकाशित पुस्तक / प्रकाशन का सूचित मूल्य भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन से निर्धारित किया जाएगा।
- एक बार परियोजना के अनुमान आदि पर्याप्त रूप से अनुमोदित किए जाने के बाद तथा अनुदान इस प्रकार के अनुमानों पर निर्धारित किए जाने के पश्चात भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना आवेदक उनमें कोई संशोधन नहीं करेगा ।
- सरकार द्वारा दिए गए अनुदान में से निर्मित संपत्ति भारत सरकार की सहमति के बिना किसी व्यक्ति / संस्थान को स्थानांतरित नहीं की जाएगी। यदि किसी भी समय अनुदानग्राही संगठन / संस्थान अस्तित्व में नहीं रहना चाहता है तो सरकारी अनुदान में से खरीदा गया उपकरण सरकार को वापिस किया जाएगा ।
- संगठन / संस्थान के लेखे ठीक प्रकार से रखे व प्रस्तुत किए जाएँगे तथा जब भी आवश्यक हो भारत सरकार या राज्य / संघ शासित सरकार के प्रतिनिधि द्वारा उनकी जाँच की जाएगी ।
- यदि केंद्रीय या राज्य / संघ शासित सरकार के समक्ष यह कारण सामने आता है कि संगठन / संस्थान के क्रियाकलापों का उचित प्रकार से प्रबंध नहीं किया जा रहा है या संस्वीकृत राशि का उपयोग अनुमोदित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है तो भारत सरकार तुरंत अनुदान की आगे की किश्तों का भुगतान रोक सकती है तथा अनुदानग्राही से वह राशि वसूली जा सकती है जो सरकार के द्वारा संस्वीकृत अनुदान के संबंध में मुक्त की गई है ।
- आवेदक अपने कार्य में विशेष रूप से सरकारी अनुदान में से व्यय के संबंध में मितव्ययता बरतेंगे ।
- परियोजना / योजना पर प्रगति रिपोर्ट 3 महीने के नियमित अंतराल पर दी जाएगी ।
- यदि दिया गया अनुदान, राज्य सरकार के अनुदान (यदि कोई है) के कुल वास्तविक व्यय से अनुमोदित मदों के वास्तविक व्यय के 80प्रतिशत से अधिक है तो दोनों के अंतर की राशि भारत सरकार को वापिस की जाएगी ।
- प्रकाशनों के प्रत्येक शीर्षक पृष्ठ पर निम्नलिखित प्रविष्टियाँ होंगी :- केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संस्वीकृत पत्र सं. ................ दिनांक .................... के माध्यम से प्राप्त वित्तीय सहायता से प्रकाशित । कॉपीराइट ................................................. अनुदानग्राही के पास है।